भिलाई. आपसी रंजिश में एक युवक को आरोपियों ने चाकू से गोद दिया. उसके सीने, पेट एवं कमर में कम से कम सात घाव थे. कुछ घाव तो इतने गहरे थे कि अंतड़ियां आठ जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गई थीं. ऐसे जख्मों के मामले में आम तौर पर पेट खोल कर अतंड़ियों की मरम्मत की जाती है. हाइटेक में अत्याधुनिक दूरबीन पद्धति से मरीज के सभी जख्मों की मरम्मत कर दी गई. मरीज अब पूरी तरह ठीक है.
हाइटेक के लैप्रोस्कोपिक गैस्ट्रो सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा ने बताया कि 24 सितम्बर को जब मरीज टीकमलाल को अस्पताल लाया गया, तो वह शॉक की स्थिति में था. उसका काफी खून बह गया था और जख्मों को तत्काल बंद करने की जरूरत थी. हमारे पास दोनों विकल्प थे. या तो हम मरीज का पेट खोलकर जख्मों की मरम्मत करते या फिर दूरबीन पद्धति को काम में लाते.
डॉ नवील शर्मा ने बताया कि उतई के डुंडेरा गांव के इस मरीज की उम्र लगभग 27 साल थी. पेट में लंबा चीरा लगाने का मतलब उसे जीवन भर के लिए कमजोर बनाना था. उसे भारी वजन उठाने के लिए मना कर दिया जाता. दूरबीन पद्धति से इलाज करने के पर केवल तीन छिद्रों के माध्यम से ही इस कार्य को किया जा सकता था. हमने दूरबीन पद्धति से ही सर्जरी की और अंतड़ियों के जख्मों की मरम्मत कर दी.
चोटों के चलते मरीज को संक्रमण भी हो गया था जिसके कारण उसे कुछ दिनों तक आईसीयू में रखना पड़ा. सर्जरी के पांच दिन बाद मरीज ने भोजन करना शुरू कर दिया. अब वह चलने फिरने भी लगा है और जल्द ही उसकी छुट्टी कर दी जाएगी. वह जल्द ही काम पर लौट सकेगा.