भिलाई। पेट दर्द के प्रति लापरवाही कभी कभी महंगी पड़ सकती है. 35 वर्षीय इस युवक को पेट में दर्द रहता था. कभी कभी मरोड़ के साथ दर्द होता था. भूख कम हो गई थी. शरीर कमजोर हो रहा था. अनेक डाक्टरों को दिखाया पर पूरी आराम नहीं हुआ. अंततः युवक हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल पहुंचा. उसे अंतड़ियों की टीबी थी. छोटी आंत का एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. लगभग एक मीटर का हिस्सा काटकर निकालना पड़ा.
हाइटेक के गैस्ट्रो सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा ने बताया कि बेमेतरा निवासी 35 वर्षीय वीरेन्द्र यादव पेट दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंचा था. अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ आशीष कुमार देवांगन ने उनकी जांच की. मरीज ने बताया कि पेट में लगातार दर्द होने के साथ ही खाना खाते ही उलटी आती है. हमेशा हल्का हल्का बुखार बना रहता है. जांच करने पर मरीज की छोटी आंत में टीबी का संक्रमण पाया गया. आंत का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था. भोजन के आगे बढ़ने का रास्ता बंद हो चुका था. मरीज की तत्काल सर्जरी कर दी गई. छोटी आंत का लगभग एक मीटर का क्षतिग्रस्त हिस्सा काटकर निकाल दिया गया और आंत को जोड़ दिया गया. सर्जरी सफल रही. रोगी की स्थिति अब काफी अच्छी है.
डॉ आशीष कुमार देवांगन ने बताया कि फेफड़े की टीबी की तरह पेटों की टीबी भी बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है. जिन्हें कभी छाती की टीबी रही हो, उनके पेटों में इसके संक्रमण की 10 फीसदी संभावना होती है. पर यह संक्रमण दूषित भोजन या पानी से सीधे भी पेट में पहुंच सकता है. मरीज को इसके सभी लक्षण थे जिसकी उपेक्षा की गई और समय पर इलाज नहीं प्रारंभ किया गया और नौबत सर्जरी तक जा पहुंची. उन्होंने बताया कि छाती की टीबी की तरह आंतों की टीबी का इलाज भी औषधियों द्वारा संभव है.
आंतों की टीबी छोटी या बड़ी आंत को अपनी चपेट में ले सकती है. कोलोनोस्कोपी, सीटी स्कैन, एक्स-रे और पैथोलोलिजकल जांच से इसकी पुष्टि की जा सकती है. डॉ देवांगन ने कहा कि पेट का दर्द अगर तीन दिन से ज्यादा खिंच रहा हो तो तत्काल किसी गैस्ट्रो विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए.