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8-8 सौ ग्राम के छह नवजात, 45 दिन की मशक्कत से बचाई जान

Oct 20, 2022
Miracle : Six premature babies get new life in govt. hospital

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में स्थित बैकुंठपुर के सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों ने एक बड़ा चमत्कार कर दिखाया है. यहां छह ऐसे नवजातों की जान चिकित्सकों की टीम ने बचाई है जिनका वजन जन्म के समय 800 ग्राम से भी कम था. ऐसे एक हजार बच्चों में से केवल दो या तीन ही बच पाते हैं. जिला अस्पताल के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट 45 दिन की जद्दोजहद के बाद इन शिशुओं को उनकी माताओं के साथ घर भेजने में कामयाब रही. इनमें चार बच्चे जुड़वां हैं.
समय से पहले जन्म लेने वाले इन शिशुओं के फेफड़े खुल तक नहीं रहे थे. स्पेशल नियोनेटल केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती यह बच्चे डॉक्टरों व स्टाफ की अथक मेहनत से जिंदगी की जंग जीत गए. कौशिल्या और अजय कुंवर अपने जुड़वां बच्चों के साथ तथा प्रियंका और कुमेला अपने अपने बच्चों के साथ दीपावली से पहले घर पहुंच गए हैं. हालांकि इन बच्चों को फिलहाल 4-4 दिन के अंतराल में चेकअप के लिए अस्पताल लेकर आना होगा.
जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. भास्कर दत्त मिश्रा ने बताया कि सभी बच्चों का जन्म समय से डेढ़ महीने पहले हुआ था. उनके फेफड़े काम नहीं कर रहे थे. उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया. शिशु रोग गहन चिकित्सा इकाई में उन्हें सघन निगरानी पर रखा गया. एनएचएम व एसएनसीयू स्टाफ की विशेष केयर के चलते बच्चों का वजन अब 1.5 किलो के आसपास हो चुका है और वह पूर्णत: स्वस्थ है. सभी बच्चों का ट्रीटमेंट आयुष्मान कार्ड से मुफ्त में हुआ.
डॉ. भास्कर ने बताया कि प्री मैच्योर शिशु का हर अंग कमजोर होता है, खासतौर पर मस्तिष्क और फेफड़ा. फेफड़े विकसित नहीं होने से सांस नहीं लेने से उनकी मौत हो जाती है. महीनेभर 24 घंटे इन शिशुओं की गहन निगरानी की गई. डॉ पल्लवी पैकरा, डॉ सबा प्रवीण, डॉ दीपिका श्रीवास्तव, एसएनसीयू इंचार्ज सोनिया लाल की टीम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी.
सिविल सर्जन डॉ. आशीष करण ने बताया कि इन नवजातों के फेफड़े, दिल व शरीर के अन्य अंग कमजोर थे. उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी. नवजात शिशु में सबसे अधिक मृत्यु का कारण भी प्री-मैच्योरिटी ही है. ये शिशु डॉक्टर व अस्पताल स्टाफ के लिए बड़ी चुनौती थी. हमें खुशी है कि हम इन बच्चों को बचा पाए. पर खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है. इन बच्चों की लगातार चिकित्सकीय निगरानी जरूरी होगी.

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