भिलाई। विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर आज एमजे कालेज में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए एमजे कालेज के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने कहा कि पहले जहां मधुमेह 50 से ऊपर के लोगों की बीमारी थी, अब वह बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. जीवन प्रत्याशा तो बढ़ी है पर यदि मधुमेह ने घेर लिया तो जीवन की गुणवत्ता जाती रहेगी. इसलिए सावधानी जरूरी है. एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग की सहा. प्राध्यापक ममता सिन्हा ने विषय पर आमंत्रित व्याख्यान दिया.
डॉ चौबे ने बताया कि मधुमेह रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसमें उन लोगों की संख्या ज्यादा है जो खराब लाइफ स्टाइल के कारण इसकी चपेट में आ रहे हैं. फास्ट फूड, जंक फूड, खेलकूद की कमी और तनाव सबमिलकर बाल स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहे हैं. बावजूद इसके, मधुमेह को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है. इसलिए जरूरी है कि हम समय पर कदम उठाकर अपनी सेहत को ठीक रखें.
एमजे समूह की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फार्मेसी कालेज के प्राचार्य डॉ विजेन्द्र सूर्यवंशी ने कहा कि भारत को विश्व का डायबिटीज कैपिटल कहा जाता है. उन्होंने आगाह किया कि यदि इसकी रोकथाम और प्रबंधन को लेकर भारत तत्काल गंभीर प्रयास नहीं करता तो स्थिति भयावह हो सकती है.
एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग की सहायक प्राध्यापक ममता सिन्हा ने डायबिटीज पर सारगर्भित जानकारी प्रदान की. उन्होंने कहा कि रक्त में उपस्थित ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रविष्ट कराने में इंसुलिन रिसेप्टर्स की भूमिका होती है. जब वह अपना काम नहीं कर पाता तो ग्लूकोज रक्त में ही बना रहता है. उन्होंने बताया कि एकाएक आई शारीरिक कमजोरी, बार-बार प्यास और पेशाब लगना, दृष्टि की कमजोरी जैसे लक्षणों को गंभीरता से लेने की जरूरत है. ये मधुमेह के लक्षण हो सकते हैं. इसकी जांच के लिए खाली पेट, भोजन के दो घंटे बाद और रैंडम शुगर टेस्ट किया जाता है. रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित रखने के लिए लाइफ स्टाइल मोडिफिकेशन के साथ ही डाक्टर इंसुलिन लेने का सुझाव देते हैं. मधुमेह के सही प्रबंधन से शरीर के विभिन्न अंगों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है.
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सहायक प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने कहा कि मधुमेह के मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या देश के लिए चिंताजनक है. देश में 7.8 करोड़ मधुमेह के रोगी हैं. इससे राष्ट्र की उत्पादकता और चिकित्सा व्यय पर इसका विपरीत असर पड़ता है. उन्होंने मधुमेह के प्रबंधन के लिए आत्मानुशासन पर बल दिया.
सहायक प्राध्यापक कृतिका गीते ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर कम्प्यूटर साइंस की एचओडी पीएम अवंतिका, बायोटेक की एचओडी सलोनी बासु, स्नेहा चंद्राकर, अलका साहू, सहित स्टाफ के सदस्य एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.