रायपुर. भारत में एक करोड़ सत्यासी लाख नेत्रहीन हैं. प्रतिवर्ष बीस हजार लोग इसमें और जुड़ जाते हैं. इनमें से अधिकांश की दृष्टि लौटाई जा सकती है पर अंधविश्वास ऐसा होने नहीं देती. मान्यता है कि इस जन्म में नेत्रदान कर दिया तो अगले जन्म में नेत्रहीन पैदा होंगे. शास्त्री बाजार के ड्रायफ्रूट व्यापारी विनोद चोपड़ा ने इस मिथक को तोड़ा है. उन्होंने जीते जी अपनी एक आंख दान कर दी और मरणोपरांत दूसरा नेत्र भी दान कर गए. हममें से अधिकांश लोग मरणोपरांत नेत्रदान कर सकते हैं और लोगों के जीवन में रौशनी ला सकते हैं.
विनोद चोपड़ा सड़क हादसे का शिकार हो गए थे. उनकी एक आंख पूरी तरह बाहर आ गई थी. परिजन आंख को लेकर ही एमएमआई पहुंचे. डाक्टर हैरान रह गए. हालांकि आंख बिल्कुल साबुत थी पर इसे दोबारा उन्हें लगाया नहीं जा सकता था. जब श्री चोपड़ा को इस बात का पता चला तो उन्होंने नेत्रदान कर दिया. इस आंख का कार्निया एक नेत्रहीन को लगा दिया गया. कुछ दिन बाद श्री चोपड़ा की हृदयाघात से मृत्यु हो गई. उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए दूसरी आंख भी दान कर दी गई. इस दुनिया से जाते जाते श्री चोपड़ा दो लोगों के जीवन में रोशनी भर गए.
अस्पताल की डॉक्टर सोनल व्यास ने बताया, ‘नेत्रदान में कॉर्निया का दान होता है. इसमें पूरी आंख नहीं निकाली जाती बल्कि सिर्फ ट्रांसप्लांट टीशू ही लिए जाते हैं. आमतौर पर डोनर की मृत्यु के बाद ही ऐसा किया जाता है. नेत्रदान करने पर अगले जन्म में दृष्टिहीन पैदा होंगे, यह केवल एक अंधविश्वास है.’
आप कैसे कर सकते हैं आई डाेनेट
आंखें मृत्यु के 4-6 घंटे के बीच डोनेट की जाती है। नेत्रदान के लिए अपने नजदीक के नेत्रबैंक, मेडिकल कॉलेज अस्पताल या जिला चिकित्सालय में संपर्क कर सकते हैं. नेत्रदान के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर के फोन नं. 0771-2890067, सिम्स मेडिकल कॉलेज बिलासपुर के फोन नं. 07752-222301, एम्स (AIIMS) रायपुर के फोन नम्बर 0771-2577389 से जानकारी ली जा सकती है.
Pic credit ; bhaskar.com