रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सनातन धर्म को लेकर एक बड़ी बात कही है. विकास की पश्चिमी परिभाषा को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा है कि यदि हम संसार के आदिम सांस्कृतिक मूल्यों को बचाए रखने में सफल हुए, तभी हमारी एकजुटता कायम रह सकती है. आदिम मूल्यों से ही प्रकृति का संरक्षण और संरक्षण संभव है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों के लिए पूरी दुनिया में एकजुटता कायम करना है.
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मनुष्य का इतिहास जितना पुराना है उतना ही पुराना नृत्य का इतिहास है. दुनियाभर के आदिवासियों की नृत्य शैली, वाद्ययंत्र में अद्भुत समानता है. दुनियाभर के आदिवासी नृत्यों की शैली, ताल, लय में बहुत समानताएं हैं जो यह दर्शाता है कि पूरी दुनिया के आदिवासियों का हृदय एक ही है. उन हृदयों के भाव एक ही हैं. उनके सपने, उनकी आशाएं और उनकी इच्छाएं एक ही हैं. राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का उद्देश्य आदिम संस्कृति को बचाये रखना है. राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एक दूसरे विचारों और अनुभवों का साझा करने का बड़ा अवसर भी है. हम सब एक दूसरे से सीखेंगे, जानेंगे, समझेंगे और मिलजुलकर सोचेंगे कि दुनिया को किस तरह बेहतर बनाया जाए.
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश के 28 राज्यों, 7 केन्द्र शासित प्रदेश सहित 10 देशों मोज़ाम्बिक, टोगो, ईजिप्ट, मंगोलिया, इंडोनेशिया, रूस, न्यूजीलैंड, सर्बिया, रवांडा और मालदीव के कलाकारों ने सहभागिता दी. मुख्यमंत्री ने पोस्टल विभाग ने पोस्टल स्टैम्प और लिफाफे तथा वर्ष 2021 के राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की काफी टेबल बुक का विमोचन करते हुए कहा कि आदिवासी नृत्य महोत्सव एक स्वाभाविक संगम है. देश-विदेश के कलाकार अपनी सांस्कृतिक खूबसूरती के रंगों से हमारी संस्कृति को और भी सुंदर बना रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी कलाकारों को विदेश में प्रस्तुति का अवसर और मंच प्रदान करने के लिए राज्य सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली के बीच समझौता ज्ञापन हेतु सहमति बनी है जिससे आदिवासी संस्कृति के प्रसार और विनिमय का दायरा बढ़ेगा.