“गर्भावस्था में दें सपनों का आकार” की लेखक से बातचीत
भिलाई। “गर्भावस्था में दें सपनों का आकार” की लेखक मलय जैन का मानना है कि आपके बच्चे का स्वभाव कैसा होगा, यह बच्चे के जन्म से भी पहले तय हो जाता है. वैसे तो इसके बीज 100 साल ये उससे भी पहले पड़ चुके हो सकते हैं पर हमारा नियंत्रण केवल गर्भधारण से लेकर उसे जन्म देने और फिर उसके पालन पोषण तक सीमित है. गर्भधारण से पहले ही यदि इसकी तैयारी शुरू कर दी जाए तो बेहतर परिणाम आ सकते हैं. उन्होंने नवदंपियों के लिए यह पुस्तक कोरोना काल में लिखी.
मलय बताती हैं कि यह तो विज्ञान भी मानता है कि हमारे जीन्स पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते जाते हैं. अर्थात हमारे पिता, पितामह से लेकर प्रपितामह या उनसे भी पहले की पीढ़ियों के जीन्स हम तक पहुंचते हैं. इसलिए भारतीय समाज में वैवाहिक संबंधों से पूर्व वंश, कुल एवं गोत्र का विवेचन किया जाता था. हम जानते हैं कि महाभारत काल में अभिमन्यु माता के गर्भ में बैठकर चक्रव्यूह भेदन की बारीकियां सीख चुका था. लव-कुश भी श्रेष्ठ माता-पिता की संतान थे. स्वयं भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण का जन्म उनके पूर्वजों की कठिन तपस्या का परिणाम था.
‘एक कदम – एक सामाजिक संस्था’ की संस्थापक मलय बताती हैं कि इस पुस्तक में नवदंपतियों को गर्भधारण की तैयारी, गर्भधारण के बाद के संस्कार एवं शिशुओं की देखभाल से संबंधित शास्त्र सम्मत जानकारी दी गई है. पुस्तक में गर्भधारण के पश्चात विभिन्न कालखण्डों के लिए उपचार दिये गये हैं ताकि शिशु के मस्तिष्क, भाव एवं शरीर का पूर्ण निर्माण हो सके. यह पुस्तक श्रेष्ठ संतानों को जन्म देने का मार्ग प्रशस्त करने के साथ ही मातृत्व के आनन्द को कई गुना बढ़ाने में सक्षम है.