दुर्ग। दुर्ग जिला अस्पताल प्रदेश का ऐसा पहला अस्पताल बन गया है जहां फुलटाइम न्यूरोसर्जन की नियुक्ति की गई है. इससे सड़क हादसों में घायल होने वालों को बड़ी राहत मिलेगी. यह सुविधा किसी भी अन्य जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. इसकी वजह वेतन भत्ते की विसंगति को माना जाता है. न्यूरोसर्जन का मानदेय 3 लाख रुपए होगा जिसमें से 93750 रुपए नेशनल हेल्थ मिशन देगा. शेष राशि की व्यवस्था डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड से की जाएगी.
न्यूरोसर्जन डॉ. कुलदीप सिंह की नियुक्ति एनएचएम अर्थात नेशनल हेल्थ मिशन मद से की गई है. इसके साथ ही जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों का एक पूरा पैनल तैयार हो जाएगा. एक प्रोस्थोडोंटिस्ट डॉ. रेनुका जायसवाल और एक ओरल सर्जन डॉ. कामिनी की पदस्थापना पहले ही हो चुकी है. अस्पताल में वेंटिलेटर सुविधा सहित 20 बेड का आईसीयू संचालित है. चिकित्सकों ने बताया कि अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 15 से ज्यादा मरीज सड़क हादसों और नसों की बीमारी से जुड़े पहुंचते हैं. न्यूरोसर्जन की नियुक्ति से इन्हें राहत मिलेगी.
फुल टाइम न्यूरोसर्जन
डॉ. कुलदीप सिंह को मासिक मानदेय के रूप में 93750 रुपए एनएचएम मद से और शेष 2.06 लाख डीएमएफ मद से दिए जाएंगे. न्यूरोसर्जन भी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की तरह सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम में 5 बजे से 7 बजे तक ओपीडी के साथ इमरजेंसी में उपलब्ध रहेंगे. प्रदेश में 25 जिला अस्पताल और 20 सिविल अस्पताल संचालित हैं. किसी एक में भी न्यूरो सर्जन या न्यूरो फिजिशियन की सुविधा उपलब्ध नहीं है.