भिलाई. एक 19 वर्षीय युवती पेरीयूरेथ्रल सिस्ट के साथ आरोग्यम सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल पहुंची. वह पिछले लगभग एक साल से परेशान थी. उसकी समस्या को पहले श्वेत प्रदर समझ लिया गया था तथा उसी का इलाज चल रहा था. पर थोड़े-थोड़े समय बाद सफेद रंग का डिस्चार्ज होने की समस्या बनी हुई थी. हार कर उसे आरोग्यम लाया गया जहां यूरोलॉजिस्ट डॉ नवीन राम दारूका ने उसकी जांच की. तब जाकर समस्या पकड़ में आई.
दरअसल, युवती को पेरीयूरेथ्रल सिस्ट था. यह मूत्रमार्ग के बगल हिस्से में बनने वाली गांठ है जो फूल कर बाहर तक आ जाती है. इसकी वजह से मूत्र विसर्जन में तकलीफ हो सकती है,. इस गांठ में मवाद बन रहा था जिसके कारण वह सूजी हुई थी. जब मवाद अधिक हो जाता तो वह रिस जाता जिसे श्वेत प्रदर समझ लिया गया था.
इसके इलाज के लिए गांठ में चीरा लगाकर पहले मवाद को बहा दिया जाता है. इसके बाद शेष त्वचा को टांके लगाकर एक पाउच बना दिया जाता है. इस प्रक्रिया को marsupialization कहते हैं. इससे दोबारा सिस्ट बनने की संभावना काफी कम हो जाती है.