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सिर के बाद दूसरे नंबर पर ये है सड़क हादसों में मौत की वजह

Mar 29, 2024
Ruptured spleen is second leading cause of death in RTA

भिलाई। सड़क दुर्घटनाओं में सिर फूटने के कारण प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो जाती है. पर मौत की यह इकलौती वजह नहीं है. इन हादसों में लिवर और स्प्लीन (तिल्ली) के जख्म भी मृत्यु का एक बड़ा कारण है. यह कहना है हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा का. पिछले एक माह में हाईटेक में ऐसे कम से कम दो मरीजों का जीवन बचा लिया गया जो तिल्ली में लगी चोट की वजह से मौत की कगार पर जा पहुंचे थे.
यह घटना 16 मार्च की है. उसदिन एकाएक मौसम बिगड़ा था. 27 वर्षीय अस्पताल कर्मी श्री साहू धमधा रोड होकर घर जा रहा थे. रवेलीडीह के पास एकाएक एक वृक्ष की शाख टूटकर उनपर गिर पड़ी. चूंकि वे हेलमेट पहने हुए थे, इसलिए सिर बच गया. गर्दन को जोर का झटका लगा तो उनका संतुलन गड़बड़ा गया और बाइक का हैण्डल पेट से आ टकराया. यह चोट इतनी गहरी थी कि स्प्लीन (तिल्ली) फट गई. पेट के बाएं हिस्से में निचली पसलियों के पीछे तिल्ली होती है. संवहनी (वैस्कुलर) अंग होने के कारण यह खून से भरा होता है. हृदय से एक मोटी धमनी इस तक रक्त पहुंचाती है. इसके घायल होने से गंभीर आंतरिक रक्तस्राव होता है और इलाज में देर होने पर घायल की जान जा सकती है. युवक के फेफड़े भी इस हादसे में जख्मी हो गए थे.
हादसे के तुरंत बाद श्री साहू को रात लगभग 12 बजे हाइटेक अस्पताल लाया गया. सूचना मिलते ही डॉ नवील शर्मा, डॉ नरेश देशमुख एवं पूरी ट्रॉमा टीम अस्पताल पहुंच गई. तुरत-फुरत में रक्त की व्यवस्था कर रोगी को ओटी में लिया गया. रक्तस्राव को जल्द से जल्द रोकना जरूरी था. तब तक ढाई से तीन लिटर खून पेट के भीतर बह चुका था. घायल को पांच यूनिट रक्त और 8 यूनिट एफएफपी (प्लाज्मा) चढ़ाना पड़ा. सर्जरी कर रक्तस्राव को रोका गया और फट चुके स्प्लीन को निकाल दिया गया. इस पूरी प्रक्रिया में सुबह के 4 बच गए पर घायल की जान बच गई.
इससे पहले एक ऐसा ही मामला एक इंजीनियरिंग छात्र का सामने आया था. छात्र के पेट से लगभग 9 लिटर रक्त निकालना पड़ा था. ब्लड और एफएफपी मिलाकर उसे लगभग 24 यूनिट रक्त चढ़ाना पड़ा था. तब भी बाइक के हैण्डल से ही तिल्ली फट गई थी. डॉ शर्मा ने बताया कि हादसे के समय हैण्डल बाईं ओर टकराने पर स्प्लीन जख्मी हो सकता है. हैण्डल अगर दायीं ओर टकराया तो चोट लिवर को लगती है. दोनों ही स्थितियां जीवन को संकट में डाल देती हैं.

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