भिलाई। हाईटेक सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में आधी रात को सर्जरी कर एक जच्चा बच्चा की जान बचा ली गई। दोनों फिलहाल स्वस्थ हैं और स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। डॉ श्रेया तिवारी ने बताया कि मरीज को जब लाया गया था तब दोनों गंभीर अवस्था में थे। एमनियोटिक थैली को फटे 12 घंटे हो चुके थे और शिशु प्रसव पथ में फंसा हुआ था। हमने तत्काल एलएससीएस का फैसला किया और शिशु को निकाल लिया। डॉ श्रेया ने बताया कि 25 वर्षीय तारा को गुरुवार को ही प्रसव पीड़ा उठी और थैली फटकर पानी बह गया। इसके बाद उसे इस अस्पताल से उस अस्पताल ले जाया गया पर कहीं भी उसका इलाज नहीं हो पाया। कोरोना लॉकडाउन के कारण अधिकांश अस्पताल न्यूनतम स्टाफ पर चल रहे हैं। देर रात लगभग 11 बजे उसे हाईटेक लाया गया। जब यहां मरीज को रिसीव किया गया, पानी की थैली फटे 24 घंटे बीत चुके थे। जच्चा बच्चा दोनों की जान खतरे में थी। जांच में पता चला कि शिशु काफी कमजोर था। उसकी धड़कन काफी कम मिल रही थी। उसका विकास अवरुद्ध हुआ था। इसके सिर में सूजन थी। इसे हम आईयूआरजी कहते हैं। बहरहाल मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए तुरन्त सर्जरी कर दी गई। नवजात का वजन जन्म के समय 2.4 किलोग्राम था। बच्चे ने मां के पेट में ही मलत्याग कर दिया था।
हाईटेक के नियोनेटल विशेषज्ञ डॉ दीपक पाणिग्रही की मदद से शिशु को पूरी तरह से रिवाइव किया गया और फिर उसे माता की गोद में दे दिया गया। दो दिन बाद अब जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और तेजी से स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। वे कहती हैं कि हाईटेक हॉस्पिटल के नियोनेटल एवं स्त्री रोग विभाग में उपलब्ध उच्च स्तरीय उपकरण एवं सुविधाओं के कारण ही यह संभव हो पाया।