भिलाई। 8 सितम्बर को विश्व भौतिकचिकित्सा (फिजियोथेरेपी) दिवस है। बाह्य तरीकों से रोगी का दर्द दूर करने, उसे बेडसोर से बचाने, उसे आरामदायक स्थिति में रखने तथा सर्जरी के बाद रोगी के पुनर्वास में फिजियोथेरेपिस्ट या भौतिक चिकित्सक की बड़ी भूमिका होती है। एक अच्छा फिजियोथेरेपिस्ट अस्पताल में भरती रोगी के जल्द स्वास्थ्य लाभ करने में मददगार होता है। विशेषकर पोस्टऑपरेटिव केयर में उसकी विशेषज्ञता बड़े काम की होती है। अल्प समय में ही हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के फिजियोथेरेपी विभाग ने अपनी उपयोगिता साबित कर दी है।हाइटेक की फिजियोथेरेपिस्ट डॉ हीना लहरे ने बताया कि मूलतः फिजियोथेरेपी को स्पोर्ट्स मेडिसिन से जोड़कर देखा जाता है। पर ऐसा नहीं है। असुविधाजनक परिस्थितयों में काम करने वाले, न्यूरो जनित समस्या अथवा अस्थि रोगों से जूझ रहे मरीज, लंबे समय से बिस्तर पर पड़े रोगी, अस्पताल में भरती मरीजों को फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत कहीं ज्यादा होती है। प्रसव उपरांत सामान्य एवं सिजेरियन प्रसूताओं दोनों को ही फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ सकती है। यह उन्हें तकलीफों से बचाने के साथ ही जल्द पूर्वावस्था में लौटा ले जाने में सहायक हो सकती है।
रोग एवं सर्जरी के प्रकार के अनुसार रोगी को आरामदायक स्थित में विश्राम कराना होता है। उसे ऐसी स्थिति में करवट दिलाने की जरूरत पड़ सकती है जिससे उसके सर्जरी वाले हिस्से को कोई नुकसान न हो। उसे बेडसोर से बचाना और बेडसोर होने पर उसकी देखभाल करना फेजियोथेरेपिस्ट की जिम्मेदारी है। क्रेनियोटॉमी, रीढ़ या हडिड्यों की सर्जरी, ट्रॉमा केसेस में यह बेहद जरूरी हो जाता है। फिजियोथेरेपी हाथ, पैर, रीढ़, गर्दन, कमर, कंधा के साथ साथ फेफड़ों की भी देखभाल करता है। इसमें कुछ उपकरणों की भी मदद ली जाती है।
डॉ हीना ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में दर्द से राहत के लिए औषधियों के प्रयोग के प्रति रुझान में कमी आई है। लोग व्यायाम एवं लाइफ स्टाइल सुधारों को अपनाने लगे हैं। इसमें फिजियोथेरेपी बेहद मददगार है। फिजियोथेरेपिस्ट मांसपेशियों की जकड़न को दूर करने, शिथिल पेशियों को सक्रिय कर मजबूत करने एवं उठने-बैठने-लेटने की तरीकों में सुधार करने की कोशिश करता है।