भिलाई। सोने से पहले बहुत लोग किताबें पढ़ा करते हैं। यह दिन भर के तनाव से राहत दिलाता है। पर जो लोग ई-बुक्स पढ़ते हैं उनपर यह बात लागू नहीं होती। ई-बुक्स से निकलने वाली रौशनी उनकी नींद उड़ा सकती है, गहरी नींद आने में बाधा डाल सकती है और व्यक्ति सुबह भी थका हुआ सा लग सकता है। बीबीसी हिन्दी पर प्रकाशित लेख के अनुसार हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल के चिकित्सकों के एक दल ने सोने से पहले किताबें पढऩे वाले और ई-पाठकों के बीच तुलना करने के बाद यह चेतावनी दी है। शोधकर्ताओं ने देखा कि रोशनी वाली ई-बुक पढऩे वाले व्यक्ति को अच्छी नींद नहीं आई और वह सुबह ज़्यादा थका हुआ भी था। ►►►
वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारा शरीर दिन और रात का अंतर समझने के लिए प्रकाश का उपयोग करता है। हमारा शरीर उसी अनुरूप में व्यवहार करता है लेकिन स्मार्टफोन, टेबलेट और एलईडी प्रकाश से मानव शरीर का रुटिन प्रभावित होता है। शाम के वक्त रोशनी नींद के हारमोन मैलाटॉनिन का बनना रोक देती है या कम कर देती है। इस प्रयोग में 12 लोगों को दो सप्ताह तक नींद की लेबोरैटरी में रखा गया। इन लोगों ने पांच दिन किताबें पढ़ीं और पांच दिन आईपैड के जरिए ई-बुक पढ़ी। नियमित रूप से लिए गए खून के नमूनों से पता चला कि ई-बुक पढऩे से नींद के हारमोन मैलाटॉनिन बनने में कमी आई। इन लोगों को सोने में ज्यादा वक्त लगा, गहरी नींद नहीं आई और अगली सुबह ज्यादा थकावट महसूस हुई। इन निष्कर्षों को नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के जर्नल में प्रकाशित किया गया है।