बेंगलुरु/चेन्नै। कहते हैं जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए। कुछ ऐसा ही है बेंगलुरू के इस बच्चे के साथ जिसकी जिंदगी तो महज 2 साल 10 महीने की रही लेकिन उसका असर दूर तक रहेगा। इस बच्चे की मौत के बाद उसके अंगों ने कर्नाटक ही नहीं रूस तक किसी के जीवन में उजाला किया है। दिमागी बुखार के कारण ब्रेन डेड इस बच्चे के दिल को जब स्थानीय तौर पर कोई मैचिंग रेसिपिएंट नहीं मिला तो चेन्नई में तलाश की गई। >>>यहां एक रूसी बच्ची एक माह से दिल का इंतजार कर रही थी। बच्चे का दिल 3 मिनट में एयर पोर्ट पहुंचा। वहां से उड़ान भर कर चेन्नै पहुंचा और 47 मिनट में वह फोर्टिस अस्पताल के ओटी में था जहां रूसी बच्ची को तैयार रखा गया था। आठ घंटे की सर्जरी के बाद बच्चे का दिल रूसी बच्ची के सीने में धड़कने लगा। इस बच्चे को गुरुवार को बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल में दिमागी बुखार के कारण ब्रेन डेड घोषित कर दिए गया था। इसके पैरंट्स ने उसके अंग दान करने का फैसला किया था।
बच्चे के दूसरों अंगों का भी सफल प्रत्यारोपण किया गया है। उसकी आंखों (कॉर्निया) को नारायण नेत्रालय, लीवर को अपोलो अस्पताल और किडनी को सागर अस्पताल में उचित कैंडिडेट्स को दिया गया है।