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नाक-कान चिपकाओ और चेहरा तैयार

Dec 7, 2014

how police sketches a face from detailsफरार अपराधियों की पहचान साबित करने और उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस उनके स्केच तैयार कराती है। दिल्ली पुलिस ने इसके लिए अपना एक खास सॉफ्टवेयर तैयार करा रखा है। ‘पहचान प्रो’ नाम के इस स्पेशल सॉफ्टवेयर के जरिए दिल्ली पुलिस चार हजार से अधिक नाक, कान और आंख आदि से क्रिमिनल का स्केच तैयार करती है। इसके लिए 15 मिनट से लेकर चार घंटे तक का समय लगता है। […]यह निर्भर करता है उस शख्स की याददाश्त पर जो अपराधी का चेहरा देखकर स्केच तैयार कराता है। यह स्केच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा तैयार कराए जाते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे तैयार होते हैं इन अपराधियों के स्केच:
चेहरा कैसा है अपराधी का?
किसी भी अपराधी का स्केच बनाने के लिए सबसे पहले फेस को चूज करना पड़ता है। इसमें 13 तरह की कैटिगरी में पुलिस के पास 500 से अधिक चेहरे हैं। लेकिन यह सब बिना आंख, नाक और कान के होते हैं। फेस की इस लिस्ट में से एक को देखे गए क्रिमिनल की पहचान के हिसाब से बताना पड़ता है कि उसका फेस लंबा, गोल, छोटा या किस तरह का था।
कैसे बाल थे उसके?
इसके बाद दूसरे स्टेप में हेड आता है। इसमें पांच कैटिगरी में 400 सिर हैं। फिर नंबर आता है बालों का। पुलिस के पास 600 तरह के बालों के स्टाइल हैं। इनमें से एक को छांटकर क्रिमिनल के हेयर स्टार से मिलान किया जाता है कि उसके बाल लंबे, छोटे और घुंघराले थे या फिर वह लगभग गंजा था। फिर क्रिमिनल की आई ब्रो के बारे में जानकारी लेकर स्केच में उसकी भौं बनाई जाती हैं। पुलिस के पास करीब 500 तरह की आई ब्रो हैं। यह काम हो जाने के बाद 300 तरह की आंखों में से एक को सलेक्ट किया जाता है।
दाढ़ी और मूंछ पर नजर
550 नाकों में से एक नाक और 300 तरह की दाढ़ियों में से एक तरह की दाढ़ी और 200 तरह की मूछों में से एक तरह की मूछ (अगर क्रिमिनल के हैं तो) स्केच में लगाई जाती है। पुलिस के पास 800 तरह के होंठ भी हैं। इनमें से एक लिप्स को सलेक्ट कर स्केच पर लगाया जाता है। 100 से अधिक तरह के कान भी हैं। इसके बाद क्रिमिनल ने अगर किसी तरह की कोई कैप पहनी है तो 60 तरह की कैप में से वह कैप लगाई जाती है। अगर क्रिमिनल ने चश्मा पहना है तो उसका भी इंतजाम है।
अपराधी की उम्र की पहचान
स्केच बनाने के लिए यह बेहद कारगर स्टेप हैं। इन्हें पूरा करने के बाद स्केच 90 फीसदी तक पूरा बन जाता है। बस बाद में जरूरत इस बात की होती है कि क्रिमिनल को हंसते हुए देखा गया था , उसके गालों में गड्ढे थे , माथे पर सलवट या उम्र को दिखाती अन्य कोई पहचान। अपराधी की उम्र दिखाने के भी सारे इंतजाम होते हैं। चेहरे पर जले , कटे या अन्य किसी तरह के घाव का निशान है तो उसे भी दिखाया जाता है।
4 स्केच रोज बनते हैं
यह काम पूरा होने के बाद लगता है कि स्केच में कुछ कमी रह गई है तो उसे हाथ से फाइनल टच देने के लिए भी आर्टिस्ट पुलिस के पास होते हैं। हालांकि , दिल्ली पुलिस के पास एनसीआरबी का भी सॉफ्टवेयर है , मगर वह इतना कारगर नहीं लगता। पुलिस का कहना है कि बढ़ते अपराधों को देखते हुए हर साल अधिक स्केच बनवाए हा रहे हैं। तकरीबन तीन से चार स्केच हर रोज तैयार होते हैं। इस मामले में दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत का कहना है कि स्केच बनाने से क्रिमिनल के हुलिये के बारे में काफी जानकारी मिलती है। यह जरूरी नहीं है कि बनाया गया स्केच हूबहू अपराधी जैसा हो , लेकिन उससे मोटे तौर पर अपराधी की पहचान साबित करने में मदद मिलती है।

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