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व्यापक होता है अपराध का प्रभाव : विज

Dec 13, 2014

smart policing, bhilai, ADG RK Vij, IG Pradeep Guptaभिलाई। एडीजी पुलिस आरके विज ने कहा कि आज अपराधी की प्रवृत्ति और अपराध की प्रकृति में व्यापक बदलाव आया है। ऐसे अपराध बहुतायत में हो रहे हैं जिसका असर पूरे देश पर पड़ रहा है। इसलिए पुलिस की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। हमें स्थिति को विस्फोटक होने से रोकना है तथा उसका प्रभाव सीमित करने के प्रयास करने हैं। इसके लिए हमें अपने व्यावसायिक ज्ञान और कौशल में वृद्धि करनी होगी ताकि हम ऐसे अपराधों की रोकथाम में स्वयं को सक्षम बना सकें। श्री विज यहां छत्तीसगढ़ राज्य के पुलिस अधिकारियों/विवेचकों के लिए भिलाई निवास में आयोजित स्मार्ट स्किल इन पुलिसिंग पर राज्य स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। >>उन्होंने कहा कि पुलिस को एक ऐसा वरदान मिला हुआ है कि वह किसी भी पीड़ित, परेशान व्यक्ति की सहायता कर सके। इसको ध्यान में रखकर ही पुलिस को कार्य करना चाहिए। यह आयोजन आईजी दुर्ग रेंज प्रदीप गुप्ता के मार्गदर्शन में किया गया। एसपी दुर्ग डॉ आनंद छाबड़ा ने स्वागत भाषण दिया।
आईजी दुर्ग रेंज प्रदीप गुप्ता ने पुलिस अधिकारियों एवं विवेचकों को अपराध की विवेचना में आ रही कठिनाइयों को दूर करने की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम ने अपराध की सीमाओं की परिभाषा ही खत्म कर दी है। वाइट कॉलर क्राइम के जरिए अपराधियों द्वारा अपने को छिपा लिया जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी में आ रही क्रांति को देखते हुए पुलिस को अपना व्यवहार, काम करने के तरीकों को बदलना होगा तथा विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी दृढ़ता बरकरार रखनी होगी। संचालक, अभियोजन, जिला रायपुर एमएम देशपाण्डेय ने वर्तमान में भारतीय दण्ड विधान, दण्ड प्रक्रिया संहिता एवं महिला संबंधी अपराधों की संशोधित धाराओं की चर्चा की एवं न्यायालय में पेश किए जाने वाले प्रकरणों के बारे में विस्तार से समझाया।
SP Dr Anand Chhabra, IG Pradeep Gupta, ADG RK Vijएटीएम के माध्यम से की जा रही धोखाधड़ी के बारे में विस्तार से बताते हुए नागपुर से पधारे कमलेश वाल्दे एवं विशाल सक्सेना ने इसकी रोकथाम के तरीके बताए। वहीं बेंगलुरू से आए आनंद जागे ने स्मार्ट पुलिसिंग एंड नेक्स्ट जनरेशन क्राइम की विस्तार से चर्चा की। सरगुजा के एसपी सुन्दरराज पी इस मौके पर विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण चंद्र तिवारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक क्राइम कविलाश टंडन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र शर्मा, एसडीओपी गरियाबंद बुद्धि लाल पाल, एसडीओपी राजनांदगांव श्री मेश्राम, टीआई महिला थाना मोनिका पाण्डेय, टीआई भिलाई नगर कोतवाली राजेश साहू सहित 300 से अधिक राजपत्रित/अराजपत्रित पुलिस अधिकारी एवं पुलिस अकादमी से 36 प्रशिक्षु उप पुलिस अधीक्षकों ने हिस्सा लिया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर राजेश अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
डाक्टर और पुलिस से कोई संतुष्ट नहीं
पुलिसिंग के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को उजागर करते हुए दुर्ग के विख्यात मनोरोग चिकित्सक डॉ प्रदीप गुप्ता ने बताया कि पुलिस, वकील और डाक्टर की सेवाओं से बहुत कम लोग संतुष्ट होते हैं। बावजूद इसके हमें अपना अपना काम पूरी निष्ठा से करना होता है। उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र तरीका है मन को साफ रखें, समय के पाबंद रहें तथा विचारों के आदान प्रदान को बढ़ावा दें। अपने सीनियर को आदर्श मानें।
chhattisgarh police officersउन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में अनूठा और निराला है। कोई भी पूरी तरह किसी दूसरे के जैसा नहीं है। अमिताभ बच्चन, महात्मा गांधी, मोरारजी देसाई आदि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये सभी लोग अपने-अपने क्षेत्र में चोटी के नाम हैं किन्तु इन सबकी भी अपनी-अपनी विशिष्टता है। इसलिए अपने एटीट्यूड, बिहेवियर और इंडीपेंडेंस में संतुलन बनाएं। स्वयं अपना उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हमें टीम वर्क का आदर करना चाहिए क्योंकि इसका प्रत्येक हिस्सा महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य को हासिल करने तथा उन्नति करने के लिए व्यक्ति का क्रेजी होना जरूरी है। साथ ही उसे डैशिंग होना पड़ेगा। उपलब्ध अवसरों पर अपने टैलेन्ट और क्षमताओं का प्रदर्शन करना होगा। उन्होंने कहा कि जलन, विफलता की निशानी है। किसी की सफलता को देखकर हमें उससे जलना नहीं चाहिए बल्कि कड़ी मेहनत कर उसकी बराबरी करनी चाहिए।
केपीएस मत बनो : डॉ प्रदीप गुप्ता ने कहा कि हमें केपीएस बनने से परहेज करना होगा। केपीएस से तात्पर्य यहां खाओ-पियो और सोओ से है। जब कभी भी हम किसी ट्रेनिंग का हिस्सा बनें तो पूरी ईमानदारी से उसका लाभ लें। उन्होंने पुलिस को याददाश्त तेज करने के टिप्स देते हुए कहा कि केला, अखरोट और अलसी स्मरणशक्ति बढ़ाते हैं इसलिए इसका नियमित रूप से सेवन करें।

स्त्री पुरुष में फर्क – डॉ गुप्ता ने बताया कि पुरुषों में महिलाओं का क्रेज इतना है कि उन्हें रिझाने के लिए तकरीबन गुटखों के नाम लड़कियों के नाम पर रखे जाते हैं जबकि महिलाएं तो सिर्फ गुड़ाखू करती हैं। बातूनीपन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक पुरुष दिन भर में केवल 7000 शब्द बोल पाता है जबकि एक स्त्री दिन में 27000 शब्द तक बोल जाती है।

विदेशी खोपड़ी भारतीय डाक्टर – डॉ गुप्ता ने बताया कि भारत में अाज लगभग 6000 मनोरोग चिकित्सक कार्यरत हैं। यहां तक कि विदेशों में भी अधिकांश मनोरोग चिकित्सक भारतीय ही हैं। मनोरोगों को ताड़ने और उसमें रोगी की मदद करने में हमने अपनी उपयोगिता विश्व स्तर पर साबित कर दी है।

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