रोम। क्या आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं कि आईएसआईएस के आतंकियों की संख्या क्यों लगातार बढ़ती जा रही है? क्या इन जिहादियों को वाकई लगता है कि पूरी दुनिया को इस्लामिक बनाते तक ये ऐसा करते रह सकते हैं? नहीं। क्योंकि खुदा न खास्ता ऐसा हो भी गया तो इनका तो खेल ही खत्म हो जाएगा। बड़ी संख्या में पूरी दुनिया से लोगों के आकर आईएसआईएस में नाम लिखाने के पीछे सबसे बड़ी वजह से बच्चियों से रेप करने की खुली छूट। ज्यादातर लड़कियां ईसाई या यजीदी हैं। more
तोहफे में कुंवारी कन्या
आईएसआईएस के दरिन्दे अपने प्रभाव क्षेत्र में रहने वाले गैर मुसलमानों से उनकी बेटियां छीन रहे हैं। सात-आठ साल से ऊपर की मासूम लड़कियों से लेकर बड़ी उम्र की औरतों तक को वे जबरदस्ती उठा ले जा रहे हैं। इन्हें मवेशी ढोने वाले ट्रकों में भरकर अपने कब्जे वाले इलाकों में ले जा रहे हैं। वहां इनकी छंटाई हो रही है। मासूम लड़कियों से लेकर जवान स्त्रियों तक को यौन दासी बनाया जा रहा है। दुर्दान्त लड़ाकों को वर्जिन्स तोहफे में दी जा रही हैं जिसके साथ वे जो चाहे करने के लिए आजाद हैं। अधिक उम्र की औरतें खाना पकाने और बीमारों की देखभाल करने के काम पर लगाई गई हैं।
हमारी चीख उनकी उत्तेजना
आईएसआईएस के चंगुल से किसी तरह बच निकलने में कामयाब हुई लड़कियों ने टाइम्स न्यूयार्क को बताया कि उन्हें भवन के सबसे ऊपर के माले में रखा गया था। जहां लड़ाके दिन में कम से कम तीन बार समूह में आते थे और उन्हें नोचते खसोटते थे। युद्ध जर्जर इलाके में यही उनके लिए सबसे बड़ा तोहफा था। वैसे भी आईएसआईएस के पास इन योद्धाओं को देने के लिए ओछे पद और हम जैसी लड़कियों के अलावा कुछ भी नहीं था। बीमार या घायल लड़कियां विरोध करतीं तो उन्हें बुरी तरह पीटा जाता। सेक्स के भूखे पागल योद्धाओं के लिए वे लड़कियां नहीं केवल मांस का वह लोथड़ा थीं जो वहशी हरकतों पर चीखती चिल्लाती और रोती गिड़गिड़ाती थीं। इन लड़ाकों में आस्ट्रेलियाई मूल के ऐसे लोग भी थे जो यहां आकर मुसलमान बने थे। हमें लगने लगा था कि वे सिर्फ किशोरियों से सेक्स करने की चाहत लेकर ही यहां पहुंचे थे। लड़ाई तो खुद अपनी जान बचाने का एकमात्र तरीका था।