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वैदिक विमान पर लेक्चर के खिलाफ वैज्ञानिक

Jan 2, 2015

pushpak viman, nasaमुंबई। नासा के एक वैज्ञानिक ने इंडियन साइंस कांग्रेस में प्राचीन भारतीय वैमानिकी प्रौद्योगिकी पर होने वाले लेक्चर को रोकने के लिए एक ऑनलाइन पिटिशन शुरू किया है। 102वीं इंडियन साइंस कांग्रेस जनवरी में मुंबई में होने वाली है। डॉ. राम प्रसाद गांधीरमन कैलिफोर्निया में नासा के ऐम्ज रिसर्च सेंटर में काम करते हैं। उनकी इस पिटिशन को अब तक 220 वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों का साथ मिल चुका है। गांधीरमन का कहना है कि भारत में मिथकों और साइंस के घालमेल की कोशिशें बढ़ रही हैं और ऐसे में इस तरह के लेक्चरों का रोका जाना जरूरी है। गांधीरमन ने मोदी के उस भाषण का भी जिक्र किया है जहां उन्होंने गणेश को हाथी का सिर लगाए जाने को भारत के प्राचीन प्लास्टिक सर्जरी ज्ञान का नमूना बताया था।
साइंस कांग्रेस में राइबोसोम, ऐंटिबायटिक्स के प्रति प्रतिरोध, जीवन की उत्पत्ति और कोशिका-चक्र जैसे विषयों पर चर्चा होगी। इन विषयों पर छह नोबेल विजेताओं सहित कई बड़े साइंटिस्ट बोलेंगे।
प्राचीन भारतीय वैमानिकी प्रौद्योगिकी पर होने वाला यह लेक्चर कैप्टन आनंद जे बोडास और अमेय जाधव देगें। बोडास का दावा है कि प्राचीन भारतीय विमान एक देश से दूसरे देश तक, एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक और एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक जा सकता थे। उन्होंने यह भी कहा था कि उन दिनों के विमान आज के विमानों जैसे एक सीध में चलने वाले नहीं थे, बल्कि दाएं-बाएं और यहां तक कि रिवर्स भी उड़ सकते थे। कैप्टन बोडास इन दावों का स्रोत वैमानिका प्रक्रणम नामक एक ग्रंथ को बताते हैं, जो उनके मुताबिक ऋषि भारद्वाज ने लिखा था।

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