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नई शिक्षा नीति में नैतिकता पर हो जोर: डॉ शर्मा

Jul 20, 2016

new-education-policyशिक्षानीति एवं नमोदी फ्रेमवर्क अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
भिलाई। ‘विद्या से विनम्रता, विनम्रता से योग्यता और फिर क्रमश: धन, धर्म और अन्तत: सुख मिलता है। समस्त भारतीय महापुरुषों ने अपने विचार और व्यवहार से यही शिक्षा दी है। शिक्षा नीति में भारतीय जीवन मूल्यों का महत्व सभी ने बताया है। धन, धन्धा और रोजगार जरूरी है, परन्तु साधन अनैतिक नहीं होने चाहिये। उक्त उद्गार वैशाली नगर महाविद्यालय के प्राचार्य एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति के संस्कृत विद्वान आचार्य डॉ महेश चन्द्र शर्मा ने नमोदीफ्रेमवर्क पर अमरकंटक में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में व्यक्त किए।
आचार्य ने कहा कि यदि शिक्षक कत्र्तव्य परायण, स्वाध्यायी एवं सदाचारी होंगे तो विद्यार्थी भी अनुशासित, मेधावी और श्रद्धावान् होंगे। प्रतिभा में रत भारत अपनी संस्कृति के बल पर ही जगद्गुरू कहलाया। अब जबकि विश्व के प्राय: 200 देश और संयुक्त राष्ट्रसंघ भी सफलता के साथ द्वितीय विश्वयोग दिवस मना चुके है तो हमारा राष्ट्र पुन: जगद्गुरू बनने की ओर अग्रसर है। भारतीय शिक्षा और संस्कृति की उन्नति और लोकप्रियता में संस्कृत की सदा से विशेष भूमिका रही है।
डॉ महेश शर्मा ने कहा कि ऑक्सफोर्ड जैसे अनेक विश्वविद्यालयों की दीवालों पर टंकित श्लोक प्रमाण हैं कि दुनिया हमारी शिक्षा, विद्याओं और संस्कृति का लोहा मानती है। डॉ. महेशचन्द्र शर्मा इन्दिरा गांधी केन्द्रीय जनजातीय विशवविद्यालय, अमरकंटक में विषेष आमन्त्रित वक्ता रूप में बोल रहे थे।
मानव संसाधन विकास मन्त्रालय, भारत शासन नई दिल्ली द्वारा आयोजित उक्त अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं नमोदी फ्रेमवर्क पर केन्द्रित थी। सत्र विशेष की अध्यक्षता करते हुये आचार्य डॉ. शर्मा के नई शिक्षानीति में नैतिक जीवन मूल्यों की प्रमुखता से पैरवी की। उन्होंने कहा कि सदाचरण के बिना धन-साधन और संसाधन सब बेकार हैं। उन्होंने विवेकानन्द सत्र में शोधालेख भी प्रस्तुत किया।
पं. दीनदयाल उपाध्याय सत्र के अध्यक्ष के रूप में आचार्य डॉ. महेश शर्मा को स्मृति प्रतीक चिन्ह देकर आयोजक विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो.टी.वी. कट्टीमनी ने सम्मानित किया। मौके पर नार्वे के प्रो. कोवले अलीगढ़ मुस्लिम विष्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टीनेण्ट जनरल (से.नि.) जमीरउद्दीन शाह, बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जीडी शर्मा, नार्वे के शोधकर्ता डियोड कलकत्ता के प्रो. शिलांजय भट्टाचार्य, सत्र संयोजक प्रो. नवीन शर्मा एवं प्रो. पवनेश कुमार समेत देश-विदेश के सैकड़ों प्राध्यापक एवं शोधकत्र्ता उपस्थित थे।
त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन द्वारा टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुआ। उन्होंने आयोजकों एवं विद्वानों को शुभकामनायें देते हुये नई राष्ट्रीय शिक्षानीति में जीवन मूल्यों को महत्व देने की बात कही।
”नई राष्ट्रीय शिक्षानीति एवं नमोदी के फ्रेमवर्क (नैनो आर्किटेक्चरल मोबाईल ओरियेण्टेड डिजिटल इंस्टीट्यट्स फ्रेमवर्क)ÓÓ शीर्षक इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गान्धी, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, पं. मदन मोहन मालवीय, पं. दीनदयाल उपाध्याय, बिरसा मुण्डा एवं रानी दुर्गावती के नाम से आयोजित तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत श्रेष्ठ शोधपत्रों के लिये युवा, शोधकर्ताओं को लाखों के नकद पुरस्कार भी दिये गये। जूरी में आचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा को भी सम्मिलित किया गया। इन्दिरा गान्धी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय वैषालीनगर के प्राचार्य डॉ. महेश शर्मा को इस एक और विषेष उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के शिक्षाविदों, साहित्याकारों, छात्रों एवं बुद्धि जीवियों ने खुशी जाहिर की है। ज्ञातव्य है कि डॉ. शर्मा ने विगत साढ़े तीन दशक से लगातार देश-विदेश में छत्तीसगढ़ को गौरव दिलाया है।

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