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रजनी रजक को रजक विभूषण सम्मान

Sep 4, 2016

rajani-rajakभिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग में कार्यरत् श्रीमती रजनी रजक को अखिल भारतीय रजक समाज द्वारा दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में ‘रजक विभूषण सम्मान – 2016’ से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की प्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती रजनी रजक ने अपनी मंचीय प्रस्तुति वर्ष 1980 से प्रारंभ की। 1980 से 1984 तक मंचीय प्रस्तुति के साथ आकाशवाणी रायपुर की नियमित गायिका के रूप में लोक गीतों की प्रस्तुति देने लगी। इनकी कला प्रतिभा को देखते हुए वर्ष 1985 में भिलाई इस्पात संयंत्र ने एक कलाकार के रूप में सेवा करने का अवसर प्रदान किया। श्रीमती रजक बीएसपी प्रबंधन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहती हैं कि मेरी कला यात्रा के विकास में संयंत्र प्रबंधन द्वारा मुझे भरपूर सहयोग मिला है।
यों तो लोक कलाकार श्रीमती रजनी रजक ने स्थानीय, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला यात्रा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अनेकों सम्मान प्राप्त की हैं उनके द्वारा अर्जित सम्मान की सूची बड़ी लम्बी है। इसी क्रम में उन्होंने भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा लोककला सम्मान, लोकगाथा गायिका सम्मान, बिलासा महोत्सव बिलासपुर में बिलासा सम्मान, कला साहित्य की पत्रिका वसुंधरा द्वारा कला सृजन सम्मान, भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा आयोजित 32 वें छत्तीसगढ़ लोककला महोत्सव में दाऊ महासिंग चन्द्राकर सम्मान भी अर्जित किया है।
हिन्दी साहित्य, लोक प्रशासन, इतिहास एवं समाज शास्त्र जैसे चार विषयों में स्नातकोत्तर श्रीमती रजनी रजक लोकगीत एवं लोकगाथा के गायन विधा में पारंगत है। उन्हें लोकगीत, लोक नृत्य, लोक गाथा कथा गायन, लेखन प्रलेखन एवं रंग मंचीय संचालन का लगभग 30 वर्षों से वृहद् अनुभव है। इसके अलावा वे बेहतर तरीके से मंच संचालन का भी अपना दायित्व बखूबी निभा रही हैं।
लोकगाथा “ढोलामारू” की गायिका तथा गौरवशाली साँस्कृतिक पहल “धरोहर” की संयोजिका व निदेशिका श्रीमती रजनी रजक ने लोककला के संवर्धन एवं विकास में लम्बे समय से अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहीे हैं। अपनी इसी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं कला की सेवा के जज्बे को बरकरार रखते हुए उन्होंने आंचलिक तथा राष्ट्रीय स्तर पर देश के विभिन्न महानगरों जैसे: असम, शिमला, आँध्रप्रदेश, खजुराहो, देहरादून, दिल्ली, भोपाल एवं नागपुर आदि स्थानों में अब तक लगभग 4000 से अधिक मंचीय प्रस्तुति देकर रस मर्मज्ञ दर्शकों को अपनी कला से भाव विभोर किया है। उन्होंने दक्षिण मध्य क्षेत्र संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से लोकगाथा “ढोलामारू” पर शोध कार्य पूर्ण किया। है। उनकी निर्देशन, लेखन, प्रलेखन और लोककला की यात्रा निरंतर जारी है।
वर्तमान में श्रीमती रजक ढोलामारू कथा गायन के साथ ही रामायणी की प्रस्तुति दे रही हैं। इसके अतिरिक्त उनके कार्यक्रम विभिन्न चैनलों पर व आकाशवाणी से प्रसारित किये गये हैं। वर्तमान में 4 सितम्बर को आईबीसी-24 चैनल द्वारा तीजा गीत का प्रसारण किया जायेगा तथा माह सितम्बर में ही उड़ीसा के कटक व केरल में अपनी प्रस्तुति देंगी।
उनकी इस उपलब्धि पर महाप्रबंधक (सीएसआर व कार्मिक-खदान रावघाट) अनुराग नागर ने भी श्रीमती रजनी रजक को बधाई व शुभकामनाएँ दीं।

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