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डीजे वाले बाबू मुझे इंग्लिश सिखा दो

Sep 6, 2016

englishबदकिस्मती से मेरी शिक्षा अंंग्रेजी माध्यम से हुई है। पांचवी छठवीं तक जो कुछ पढ़ा वह बहुत बाद में समझ में आया। दुनिया भर का इतिहास रटकर लिख डाला। अब किसी देश का राज्य का नाम लो तो नाम सुना-सुना सा लगता है पर कहां है, याद नहीं आता। उसकी विशेषता का तो पूछो ही मत। बहरहाल अंग्रेजी का यह ज्ञान करियर में बहुत काम आया। हिन्दी पत्रकारिता में भी अंग्रेजी का ज्ञान बहुत जरूरी है नहीं तो फिर अर्थ का अनर्थ होते देर नहीं लगती। यदि कोई दस्तावेज अंग्रेजी में मिल गया तो माथे पर बल पड़ जाते हैं। इंटरनेट पर रेफरेंस ढूंढते समय भी हिन्दी और अंग्रेजी दोनों का ज्ञान काम आ जाता है। सिर्फ हिन्दी और अंग्रेजी ही क्यों, बंगला, उडिय़ा, तेलुगू, तमिल, मलयालम का भी ज्ञान हो तो शायद पूरे देश को एक करने में मदद मिले। अंग्रेजी का ज्ञान नहीं या फिर कम होने पर खूब जगहंसाई होती है। एक अक्षर आगे पीछे और आदमी कुछ का कुछ लिख जाता है। कभी बीएसपी में सीनियर पीआर अधिकारी रहे केके वर्मा ऐसी गलतियों का रिकार्ड रखते थे।
बहरहाल विषय से भटकाव बस यहीं तक। अंग्रेजी जानने वालों की सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि जो मिलता है, वही कहता है – मुझे अंग्रेजी सिखा दो। वह हंस कर टाल जाते हैं। इसलिए नहीं कि वो सिखाना नहीं चाहते, बल्कि इसलिए कि अंग्रेजी तो क्या कोई भी भाषा इस तरह सिखाई नहीं जा सकती। भाषा या तो व्यक्ति मजबूरी में सीखता है, शौक से सीखता है या फिर माहौल में रहकर। जब आपकी खालिस हिन्दी किसी की समझ में नहीं आती तो आपको दूसरी भाषाएं ट्राइ करनी ही पड़ती है। आप दक्षिण के किसी भी राज्य में चार-छह माह रह आइए वहां की भाषा समझने और कुछ कुछ बोलने भी लगेंगे। छत्तीसगढ़ में रहने वाले हममे से हर कोई छत्तीसगढ़ समझता है और टूटी-फूटी बोल भी लेता है।
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर। वैज्ञनिक तथ्य है कि हम जो सुनते हैं उसे ही दोहराने की कोशिश करते हैं। मातृभाषा की शिक्षा ऐसे ही मिलती है। छत्तीसगढ़ी या अंग्रेजी को अपनी भाषा में शामिल करना भी इसी प्रक्रिया के तहत होता है। भाषा ठीक होती है तो व्याकरण भी खुद ब खुद ठीक हो जाता है। इसलिए यदि अंग्रेजी सीखनी हो तो सबसे पहले अपने सुनने का दायरा बढ़ाएं। जब काफी सुन लें तो किसी से बोलने की कोशिश करें। आजकल इसका एक मुफ्त जरिया उपलब्ध है। आप अपने मोबाइल पर सर्विस प्रोवाइडर के हेल्प डेस्क को फोन लगाएं और आपरेटर से बात करें। संवाद के लिए अंग्रेजी भाषा का चयन करें। वहां जो भी बैठा या बैठी होगी आपकी टूटी-फूटी अंग्रेजी पर हंसेगी नहीं। चूंकि आप उसे नहीं जानते, इसलिए झेंप भी नहीं होगी। आप बिंदास अपनी अंग्रेजी ट्राइ कर सकते हैं। यदि आप इतना भी नहीं कर सकते और फोकट में बाप की कमाई खर्च करना चाहते हैं तो मदारियों के पास चले जाएं। वो लोग कूद-कूद कर तमाशाई अंदाज में अंग्रेजी सिखाते हैं। तीन या छह माह का कोर्स करने के बाद आप कह सकते हैं – आई इंग्लिश लिटिल-लिटिल – यू हिन्दी?

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