भिलाई। वन विभाग के लिए 8 साल में 32 गोल्ड जीतने वाली 48 वर्षीय बैडमिन्टन खिलाड़ी संगीता राजगोपालन पिछले 35 वर्षों से भी अधिक समय से ग्राउण्ड में डटी हुई हैं। वे खेल को जीवन का एक अभिन्न हिस्सा मानती हैं। सात बार मध्यप्रदेश राज्य चैम्पियन रही संगीता का जन्म जबलपुर में हुआ। उनके पिता स्व. आरके मिश्रा कीमोर स्थित एसीसी प्लांट में काम करते थे। वे अपने समय के मशहूर बैडमिन्टन खिलाड़ी रहे। संगीता के भाई संजय मिश्रा भी राष्ट्रीय बैडमिन्टन खिलाड़ी एवं प्रशिक्षक हैं और इन दिनों रायपुर में हैं।
संगीता बताती हैं कि पिता खेलते थे इसलिए उन्होंने खेलना शुरू किया यह कहना गलत होगा। घर में खेल को काफी तरजीह दी जाती थी। उनके पिता कहा करते थे कि खेलकूद से जीवन में अनुशासन तो आएगा ही, शरीर स्वस्थ और मजबूत होगा तथा मन भी प्रसन्न रहेगा। इससे मिलने वाली ऊर्जा पढ़ाई समेत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में काम आएगी। वे सही थे। संगीता ने बैडमिन्टन में ख्याति बटोरने के साथ ही सिविल सर्विसेस की परीक्षा पास की और भारतीय वन सेवा में सिलेक्ट हो गई।
संगीता बताती हैं कि मध्यप्रदेश में सीमा भंडारी डबल्स में उनका पार्टनर होती थीं और जीत उनकी ही होती थी। छत्तीसगढ़ बनने के बाद भी उन्होंने खेलना जारी रखा और तीन बार छत्तीसगढ़ सिंगल्स चैम्पियन रहीं। इसके अलावा डबल्स के खिताब पर भी उन्होंने पांच बार कब्जा किया।
संगीता स्वयं सुबह भिलाई के इनडोर स्टेडियम में प्रैक्टिस करती हैं। इसके बाद नौकरी और फिर शाम को वन विभाग के कोर्ट में ही ढाई घंटा बच्चों को बैडमिन्टन का प्रशिक्षण देती हैं। इसके लिए उन्होंने वन विभाग के चीफ कन्जर्वेटर से इजाजत ली है।
संगीता कहती हैं कि दुर्ग जिले में इनडोर स्टेडियम की कमी खलती है। इससे खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण में दिक्कतें आती हैं। जयंती स्टेडियम के पास स्थित इंडोर स्टेडियम बीएसपी का है और जटार क्लब अफसरों के लिए है। ऐसे में बच्चे जाएं तो कहां जाएं। उन्होंने कहा कि चर्चाएं जारी हैं तथा हमें उम्मीद है कि जल्द ही इंडोर गेम्स के भी अच्छे दिन आएंगे।
संगीता के पति क्रिकेटर हैं और रणजी खेलते थे। बेटा भी क्रिकेटर है और अंडर-19 टीम में शामिल है।