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करियर हो या कैरियर, पीछे ही ठीक होती है : पाण्डेय

Jan 28, 2017

prem-prakash-pandey-MJ-Collभिलाई। उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने कहा है कि करियर हो या कैरियर, वह पीछे ही ठीक लगती है। डिग्री या डिप्लोमा न तो सफलता की गारंटी है और न ही वह जिन्दगी से बड़ी हो सकती है। इसलिए पूरी कोशिश करने के बाद भी यदि परीक्षा में सफलता नहीं मिली तो निराश होने की जरूरत नहीं है। हमें सफलता के दूसरे रास्ते तलाशने चाहिए। करियर को जिन्दगी के पीछे लगाना चाहिए, आगे नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिन्दगी में कई चौराहे आएंगे और प्रत्येक चौक से निकली सड़क किसी न किसी मंजिल तक जाती ही होगी। जीवन के हर मौके का सदुपयोग करें। सफलता के लिए पूरी कोशिश करें। MJ-College-1 MJ-Collegeश्री पाण्डेय यहां एमजे कालेज में वार्षिकोत्सव एवं पारितोषिक वितरण समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। एक रोचक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि बीएससी करने के दौरान उनके पास एक साइकिल थी। इसमें पीछे कैरियर लगा हुआ था जिसपर वे घर की गाय के लिए चारा भी बांध लाया करते थे। जब वे एमएससी कर रहे थे तो नई साइकिल मिली। इसमें कैरियर आगे थे। साइकिल जरा भी झटके खाती तो सामने के कैरियर में लगी कापी गिर जाती।
कर्मयोग को सबसे बड़ा बताते हुए उन्होंने कोरिया का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि कोरिया का एक शिष्ट मंडल उनसे मिलने आया था। वे भारत को कुछ सिखाना चाहते थे। वो ज्ञान की मार्केटिंग करना चाहते थे। भारतीय मान्यता है कि विद्या को बांटने से वह बढ़ती है। हमने दुनिया को बहुत कुछ दिया जिससे दुनिया ने गणित, विज्ञान, चिकित्साशास्त्र सीखा। उन्होंने इसी ज्ञान को परिमार्जित किया और फिर उसे बौद्धिक संपदा घोषित कर मार्केटिंग करे लगे। पर बात यहीं खत्म नहीं होती। हमें उनसे वाकई कुछ सीखना चाहिए।
श्री पाण्डेय ने कहा कि कोरिया एक ऐसा देश है जिसे सियोल ओलम्पिक से पहले कोई जानता नहीं था। यह एक ऐसा देश है जिसके पास अपना कुछ नहीं है। वहां पसहर के चावल से ज्यादा कुछ नहीं उगता। वह दूसरे देशों से आयात करता है और फिर उसमें वैल्यू ऐडिशन करके उसे वापस उन्हीं देशों को बेच देता है। वहां के लोग 16 घंटे काम करते हैं। हमें कर्मयोग की यह शिक्षा उनसे लेनी चाहिए। भारत जैसे विशाल और मानव संसाधन से परिपूर्ण देश यदि कोरिया की राह पर चल पड़े तो दुनिया पर राज कर सकता है।
वार्षिकोत्सव में नुक्कड़ नाटक शैली में उठाए गए नारी उत्पीडऩ और महिला सशक्तीकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ताकत हमेशा भीतर से आती है। जीजाबाई ने शिवाजी को जन्म देने से पहले ही यह ठान लिया था कि उसकी संतान औरंगजेब को मार भगाएगी। शिवाजी का जन्म हुआ और उसे ऐसी परवरिश मिली कि उसने मुगलों के दांत खट्टे कर दिए। असली सशक्तिकरण यही है और भारतीय नारी दुनिया के किसी भी अन्य देश से अधिक सशक्त है। उसकी स्थिति दुनिया के किसी भी मुल्क के मुकाबले बेहतर है। उसकी स्थिति को लेकर सारा बखेड़ा मीडिया का खड़ा किया हुआ है।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रभारी बिसरा राम जी यादव ने वार्षिकोत्सव की एक खूबसूरत प्रस्तुति को ही अपना विषय बनाते हुए कहा कि पाश्चात्य संस्कृति ने ही नारी को बाजार का सामान बना दिया है। वह स्त्री का बाजारवाद के लिए उपयोग करता है और फिर उसे सशक्तिकरण का नारा देता है। सारे फसाद की जड़ यही है। भारतीय समाज नारी को सम्मान देता है, उसे मां और बहन कहता है – मैडम नहीं।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रमुख अभिषेक गुप्ता, डायरेक्टर श्रीलेखा विरुलकर, प्राचार्य डॉ कुबेर गुरुपंच, श्रीशंकराचार्य महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह भी उपस्थित थीं। संचालन डॉ प्रीति यादव ने किया।

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