• Sat. Apr 27th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

मेहनती और टिकाऊ होते हैं छोटे शहरों के युवा

Feb 20, 2017

santosh rungtaSantosh Rungta Campus दो दिवसीय एचआर कॉनक्लेव का निचोड़
भिलाई। संतोष रूंगटा कैम्पस में आयोजित दो दिवसीय Mega HR Conclave में देश की नामी कंपनियों के एचआर एक्सपट्र्स ने नौकरियों की उपलब्धता, कैंडिडेट के माइंडसेट और रिक्रूटर्स की प्राथमिकताओं के बारे में खुलकर बातें कीं। उन्होंने स्टूडेंट्स के साथ ही फैकल्टीज को भी बताया कि कॉर्पोरेट सेक्टर जॉब सिलेक्शन हेतु किन स्टूडेंट्स पर फोकस कर रहे हैं। कॉर्पोरेट सेक्टर अब छोटे शहरों से कैम्पस सिलेक्शन में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं। इसके निम्न 2 प्रमुख कारण हैं। नौकरी की जरूरत: यह पाया गया है कि छोटे शहरों से आने वाले अधिकतर बच्चों को नौकरी की सख्त आवश्यकता होती है, अर्थात नीडी होते हैं।
स्थायित्व: नौकरी की आवश्यकता होने से इनमें अन्य बच्चों की अपेक्षा कंपनी के साथ लंबे समय तक जुड़े रहने की क्षमता अर्थात स्थायित्व ज्यादा होता है।
इंडस्ट्री अपनी ओवरऑल ग्रोथ के आधार पर भर्तियां तय करती हैं इसमें कोई विशेष क्षेत्र के लोगों को कोई तरजीह मिलती है ऐसा नहीं है।
आजकल कंपनी अपने हिसाब से अपनी जरूरत के मुताबिक फ्रेशर्स का चयन कर उन्हें 3 से 6 माह की सघन ट्रेनिंग देती है तथा उन्हें अपनी आवश्यकता के अनुसार ढाल लेती हैं।
कैसे फ्रेशर्स चाहती है इंडस्ट्री:
इंडस्ट्री से आये हुए एचआर अधिकारियों के अनुसार –
इंडस्ट्री ऐसे लोगों को तरजीह देती है जो कि कहीं भी जाकर जॉब करने के इच्छुक हों। अपनी कोई विशेष चॉइस नहीं रखते हों अर्थात कार्य करने हेतु फ्लैक्सिबिलिटी हो।
ऐसे व्यक्ति जो कि किसी भी जॉब प्रोफाइल के अंतर्गत अपने को ढाल लें तथा फिट हो जायें अर्थात ऑलराउण्डर हों।
सिलेक्शन के समय प्रत्याशी की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी देखी जाती है।
इस चीज को भी परखा जाता है कि वह व्यक्ति अपने कैरियर को ज्यादा महत्वपूर्ण मानता है या पैसे को ज्यादा महत्व देता है। पैसे को महत्व देने वाले व्यक्ति की कंपनी में स्टेबिलिटी कम होती है।
आजकल कंपनी युवाओं को ज्यादा अवसर दे रही हैं क्योंकि ये पुराने अनुभवी कर्मचारियों की अपेक्षा नई टेक्नालॉजी से ज्यादा लैस होते हैं तथा आर्थिक तौर पर भी किफायती साबित होते हैं। पुरानी तकनीकें अब आउटडेटेड होती जा रही हैं इसलिये नई तकनीकी ज्ञान रखने वाले युवा व्यक्ति को ज्यादा प्राथमिकता मिल रही है।
युवा क्या करें….. क्या न करें
संप्रेषण ज्यादा महत्वपूर्ण है वह किस भाषा में हो यह जरूरी नहीं है। भाषाओं को सीखा भी जा सकता है। युवाओं को नौकरी के पीछे भागना नहीं चाहिये। उनके लिये उद्यमिता भी एक विकल्प हो सकता है।
केवल इंजीनियरिंग डिग्री पर ही फोकस न करें बल्कि प्रैक्टिकल नॉलेज पर अधिक ध्यान दें।
तकनीकी शिक्षण संस्थाओं को क्या करना चाहिये
शिक्षण संस्थाओं को स्टूडेंट्स को अधिक से अधिक इंडस्ट्रीज़ के एनवायरमेंट की जानकारी तथा अपनाई जा रही नई तकनीकों के संबंध में लगातार जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिये । इस कार्य के लिये ऐसे एचआर कॉनक्लेव जैसे प्रोग्राम्स तथा इंडस्ट्रियल विजिट अत्यंत लाभप्रद होती है।
कोर्स सिलेबस तथा किताबें नींव का कार्य करती है, उस पर बिल्डिंग बनाने के लिये इनोवेटिव सोच की आवश्यकता होती है। आज के दिन इंटरनेट महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने का एक अच्छा साधन बन गया है। विद्यार्थियों की रिसर्च तथा इनोवेटिव सोच के लिये शिक्षण संस्था स्तर पर प्रयास किये जाने चाहिये।
युवाओं के लिये उद्योगों में पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं आवश्यकता इस बात की है कि फ्रेशर्स उद्योगों की आवश्यकताओं को समझते हुए अपने आपको उसके अनुरूप ढालें। तकनीकी शिक्षण संस्थाओं की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
संतोष रूंगटा समूह द्वारा आयोजित यह 2-दिवसीय मेगा एचआर कॉनक्लेव युवाओं तथा उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों के लिये उद्योगों की ओर से एक संदेश लेकर आया जिसने आज की तकनीकी शिक्षण व्यवस्था में इंडस्ट्री-इंस्टीट्यूट-इंटरेक्शन की महत्ता को रेखांकित किया तथा वर्तमान परिवेश में तकनीकी शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण की एक नई दिशा निर्धारित की है।

Leave a Reply