बीजापुर। जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर घने जंगलों में बसे मनकेली के लोगों को न तो विकास कार्य चाहिए और न ही आधार या राशन कार्ड। 13 साल पहले इस गांव में बिजली, सड़क, स्कूल सब कुछ था पर नक्सली उपद्रव और सलवा जुडूम के बाद गांव उजड़ गया। सरकार की यहां तक पहुंच नहीं है। सिर्फ एक बार सुरक्षाबलों ने यहां तिरंगा फहराया था। वहीं कलेक्टर का कहना है कि गांव वाले नक्सलियों के डर से ऐसी भाषा बोल रहे हैं।सलवा जुडूम के 12 वर्ष बाद जहां गांवों के लोग विकास की मुख्यधारा से जुडऩे शहर आ गए पर सरकार गाँवों तक नहीं पहुँच सकी। मनकेली सरकार की पहुँच से कोसों दूर है। नतीजतन सरकार से नाराज इस गाँव के लोग अब अपने गाँव में कोई भी विकास कार्य नहीं चाहते हैं। गाँव के लोगों ने बुनियादी सुविधाओं के साथ पिछले दो वर्षो से आधार और राशन कार्ड का भी बहिष्कार कर रखा है।
मनकेली पंचायत भी है। 106 मकान और 376 लोगों की आबादी वाला यह गाँव धुर नक्सल प्रभावित ग्राम माना जाता है। सलवा जुडूम के कहर के बाद उजड़ा हुआ यह गाँव किसी तरह वर्ष 2010 में फिर से आबाद हुआ था। ग्रामीणों ने किसी तरह मकान बनाकर गाँव को फिर से बसा तो लिया पर सरकार आज तक इस गाँव में नहीं पहुँच पाई और न ही कोई सरकारी नुमाइंदा पहुँच पाया है। सरकार की ओर से इस गाँव में अगर कोई पहुँच पाता है तो वे सिर्फ सुरक्षाबल के जवान हैं। इन्हीं जवानों ने स्वतंत्रता दिवस पर यहां तिरंगा फहराया था।
गाँव के मुखिया मोडियम चमरू का कहना है कि 13 वर्ष पहले गाँव में बिजली, सड़क, स्कूल सभी थे पर सलवा जुडूम के बाद सरकार की सभी सुविधाएं नक्सलवाद के नाम पर हटा दी गई। चमरू का कहना है कि सरकार से कई बार सुविधाओं की मांग की गई पर सरकार ने हमारी एक नहीं सुनी। उलटे फोर्स भेजकर गाँव वालों को प्रताडि़त किया गया और ऑपरेशन के नाम पर गाँव और ग्रामीणों पर कहर बरपाया गया। गाँव वाले सरकार से नाराज हैं। आधार कार्ड और राशन कार्ड का बहिष्कार कर रहे हैं। केवल पढ़ाई करने वाले छात्रों का आधार कार्ड बनवाया गया है। इसके बावजूद पुलिस उन्हें नक्सली बताकर पकड़ती है। हाल ही में छात्र सुरेश कोरसा, मुन्ना मोडियम और राजू हेमला को आधार कार्ड दिखाने के बावजूद पकड़कर थाने में बिठाया गया था इसलिए उन्होंने इन सारी चीजों का बहिष्कार कर रखा है।
नक्सलियों का डर : कलेक्टर
इस मामले में कलेक्टर डॉ अय्याज ताम्बोली का कहना है कि विकास हर कोई चाहता है पर नक्सली और उनके बंदूक के डर से ग्रामीण ऐसे बयान दे रहे हैं। यह विरोध ग्रामीणों का नहीं बल्कि नक्सलियों का है। जहां नक्सलियों का प्रभाव ज्यादा होता है वहां पुलिस की मदद से काम किया जाता है। जल्द ही इस गाँव में भी विकास कार्यो को गति दी जाएगी।