जगदलपुर। अनादि काल से लक्ष्मी का विशेष महत्व रहा है और आज भी लक्ष्मी के लिए देश में सबसे बड़ा पर्व दीपावली मनाया जाता है। भले ही आज बस्तर की गिनती पिछड़े-वनांचल के रूप में होती है लेकिन बस्तर ने वह युग भी देखा है जब यहां सोने के सिक्के चलते थे, वह भी गजलक्ष्मी की आकृति वाली। तीन स्थानों से प्राप्त ऐसे एक हजार साल पुराने 25 सिक्कों को सुरक्षा के हिसाब से जिला पुरातत्व संग्रहालय के लॉकर में रखा गया है। अब तक आठ स्थानों में हुई खुदाई से विभाग को कुल 171 स्वर्ण मुद्राएं मिली हैं। वहीं दो क्विंटल 10 किग्रा वजनी चांदी के हजारों सिक्के जिला कोषालय में जमा हैं।
कैसे पहुंचे सिक्के : इतिहासकारों के अनुसार बस्तर में पहले कलचुरी शासक नहीं थे। वे जबलपुर के पास त्रिपुरी से छत्तीसगढ़ में आए। उनकी कुलदेवी और राजचिन्ह गजलक्ष्मी थीं। त्रिपुरी से आकर उन्होने रायपुर व रतनपुर में अधिपत्य जमाया। 11वीं शताब्दी में त्रिपुरी शासक श्रीमद गांगेयदेव ने ओड़िशा में हमला किया था। तब उसने बस्तर होकर ही ओड़िशा प्रवेश किया था। बस्तर में काकतियों के पहले कलचुरियों का ही शासन रहा, इसलिए उस काल के गजलक्ष्मी वाले सोने के सिक्के खुदाई में यदा- कदा मिल रहे हैं।
कहां मिले सिक्के : बस्तर में गजलक्ष्मी वाले सोने के 25 सिक्के धोबीगु़ड़ा, राजनगर और भंडार सिवनी से प्राप्त हुए हैं। इन सिक्कों के अग्रभाग में जहां गजलक्ष्मी की आकृति हैं वहीं पृष्ठभाग में तत्कालीन कलचुरी शासक ‘श्रीमद गांगेयदेव का उत्सव’ अंकित है। इसके अलावा फरसगांव, कांकेर, भानुप्रतापपुर, केशकाल से स्वर्ण मुद्राएं मिली हैं। अब तक आठ स्थानों में हुई खुदाई से विभाग को 171 स्वर्ण मुद्राएं मिली हैं। वहीं दो क्विंटल 10 किग्रा वजनी चांदी के हजारों सिक्के जिला कोषालय में जमा हैं।
दर्शन दुर्लभ : पुरातत्व विभाग द्वारा करीब दो करोड़ रुपए की लागत से सिरहासार के पास चार मंजिला विशाल संग्रहालय बनवाया गया है लेकिन सुरक्षा व्यवस्था अब तक नहीं की गई है, इसलिए संग्रहालय के लॉकर में बंद सोने- चांदी के हजारों पुराने सिक्कों और सामानों को प्रदर्शन नहीं किया जा रहा है। पिछले तीन साल में एक बार ही इन सिक्कों का प्रदर्शन हो पाया, जब वर्ष 2016 में सीए डॉ रमन सिंह का यहां प्रवास हुआ था।
मांगी सुरक्षा : ‘विभिन्न थानों व कोषालयों में रखे पुरातात्विक महत्व के सिक्कों व सामानों को जिला संग्रहालय में लाने का प्रयास जिला प्रशासन के सहयोग से किया जा रहा है। उनके दिशा निर्देश पर ही पुलिस अधिकारियों ने सभी थानों को इस संदर्भ में पत्र लिखा गया है। सुरक्षा के संबंध में विभाग को पत्र लिख गया है।’ -एमएल पैकरा, संग्रहालयाध्यक्ष, जिला पुरातत्व संग्रहालय