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भिलाई के घर-घर से निकलें स्वयंसिद्धा : देवेन्द्र

Dec 8, 2017

भिलाई के घर-घर से निकलें स्वयंसिद्धा : देवेन्द्र  भिलाई। विवाहित महिलाओं के ग्रुप स्वयंसिद्धा के कार्यक्रमों से अभिभूत महापौर देवेन्द्र यादव ने आज कहा कि वे चाहेंगे कि भिलाई के घर-घर से स्वयंसिद्धाएं निकलें और अपनी नई पहचान बनाएं। उन्होंने कहा कि तफरी में स्वयंसिद्धा ग्रुप की भागीदारी ने सिद्ध कर दिया है कि इनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा है और वे पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। महापौर स्वयंसिद्धा ग्रुप द्वारा भिलाई क्लब सभागार में आयोजित आज फिर जीने की तमन्ना है कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के आसंदी से संबोधित कर रहे थे।भिलाई। विवाहित महिलाओं के ग्रुप स्वयंसिद्धा के कार्यक्रमों से अभिभूत महापौर देवेन्द्र यादव ने आज कहा कि वे चाहेंगे कि भिलाई के घर-घर से स्वयंसिद्धाएं निकलें और अपनी नई पहचान बनाएं। उन्होंने कहा कि तफरी में स्वयंसिद्धा ग्रुप की भागीदारी ने सिद्ध कर दिया है कि इनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा है और वे पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। महापौर स्वयंसिद्धा ग्रुप द्वारा भिलाई क्लब सभागार में आयोजित आज फिर जीने की तमन्ना है कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के आसंदी से संबोधित कर रहे थे।भिलाई के घर-घर से निकलें स्वयंसिद्धा : देवेन्द्र  भिलाई। विवाहित महिलाओं के ग्रुप स्वयंसिद्धा के कार्यक्रमों से अभिभूत महापौर देवेन्द्र यादव ने आज कहा कि वे चाहेंगे कि भिलाई के घर-घर से स्वयंसिद्धाएं निकलें और अपनी नई पहचान बनाएं। उन्होंने कहा कि तफरी में स्वयंसिद्धा ग्रुप की भागीदारी ने सिद्ध कर दिया है कि इनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा है और वे पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। महापौर स्वयंसिद्धा ग्रुप द्वारा भिलाई क्लब सभागार में आयोजित आज फिर जीने की तमन्ना है कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के आसंदी से संबोधित कर रहे थे।इससे पहले स्वयंसिद्धा ग्रुप की मुखिया सोनाली चक्रवर्ती ने बताया कि विवाहित महिलाएं सिर्फ मिसेज कपूर, मिसेज सिंह और मिसेस चक्रवर्ती बनकर ही क्यों रहें। विवाह से पहले भी उनका एक व्यक्तित्व था जो जिम्मेदारियों के पीछे खो सा गया है। स्वयंसिद्धा महिलाओं की उसी पहचान को पुनर्जीवित करने की कोशिश है। आज ग्रुप में 125 महिलाएं हैं जो अपने परिवार की सभी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के बाद दोपहर की नींद, गॉसिप और टीवी सीरियल्स के बीच समय चुराकर स्वयं को पहचान रही हैं, स्वयं को दूसरा मौका दे रही हैं।
कार्यक्रम में यह देखना सुखद था कि सभी महिलाएं इसमें सक्रिय हिस्सेदारी ले रही थीं। बिंदास मंच पर जा रही थीं और सुमधुर गीतों को प्रस्तुत करने का प्रयास कर रही थीं। इनमें से कुछ प्रस्तुतियां तो वाकई उम्दा स्तर की थीं। यहां निर्णायक की भूमिका में श्रीमती शारदा, श्रीमती रजनीश झांझी, श्रीमती अनिता उपाध्याय एवं गौतमी चक्रवर्ती मौजूद थीं। खचाखच भरे हाल में किसी के पति तो किसी के बच्चे मोबाइल पर प्रस्तुतियों को रिकार्ड कर रहे थे और पहली बार बंधनों को तोड़कर मंच पर पहुंची महिलाओं पर गर्व कर रहे थे।
इस अवसर पर संजीत कौर, मौसमी टंडन, विपाशा हलदर, सरिता राठौर, सावित्री जंघेल, अनिता सरकार, मंजु मिश्रा, अनिता पाण्डेय, माधुरी बिजोरिया, एल अन्नु, ऐलिना लाल, ज्योति प्रकाश, लक्ष्मी साहू, मधुरिमा राय, डॉ पूर्णिमा लाल, ममता अवस्थी, मंजू जैन, प्रिया तिवारी, रीना राय, सोमा बोस, रूमा बर्धन, सोनल कालरा, अनिता चक्रवर्ती, वैजयंति खटवा, डॉ शालिनी वर्मा, सुनीता मुरकुटे, नीरा, सुशीला साहू, देवयानी मजुमदार, फरीदा शाही, श्वेता शाह, विद्या भट्टाचार्य, गौरी चक्रवर्ती आदि ने सुमधुर प्रस्तुतियां दीं।

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