भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा सामुदायिक गतिविधि के अन्तर्गत दुर्ग-भिलाई शहर के विभिन्न क्षेत्रों का सर्वे स्वच्छता कार्यक्रम के अंतर्गत कराया गया। सर्वे हेतु बी.एड. के छात्र-छात्राओं को दस-दस के समूह में बांटा गया तथा सर्वे हेतु दी गई प्रश्नावली को समूह के छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने क्षेत्र के रहवासियों, दुकानदारों एवं खोमचे वालो का यादृच्छिक आधार पर किये गये सर्वे से स्पश्ट हुआ कि स्वच्छता अभियान से ग्रामीण क्षेत्र, कस्बो एवं शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरुकता आई है।सर्वे का पहला प्रश्न था स्वच्छ भारत अभियान आपको कितना सफल लगता है? लोगों ने अभियान को 50 से 60 प्रतिशत तक सफल बताया। सर्वे का दूसरा प्रश्न था क्या आप गीला एवं सूखा कचरा अलग-अलग पेटियों में रखते है? गीला एवं सूखा कचरा अलग-अलग पेटियों में जमा करने को लेकर बहुत कम लोग जागरुक पाए गये, अधिकांश लोगों का जवाब था, वे दोनों कचरा एक ही कचरा पेटी में डालते है। कुछ लोगो का जवाब था हम तो गीला और सुखा कचरा अलग-अलग पेटी में डालते है, लेकिन जो लोग कचरा एकत्रित करने आते है वो दोनो कचरे को मिला देते है। निगम द्वारा गीला व सुखा कचरा हेतु अलग-अलग पेटी देने से लोगों में जागरुकता आई हैं।
सर्वे का तीसरा प्रश्न था कि अगर निगम द्वारा कचरा उठाने वाली गाड़ी नहीं आती है तो आप क्या करते है? इस प्रश्न के उत्तर में अस्सी फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि इक_ा कचरा खाली प्लाट या खुले मैदान में फेंक देते है। जिसका कारण यह बताया गया कि अधिकांश कॉलोनी एवं सार्वजनिक जगह पर बड़ी कचरा पेटी नहीं लगी है और यदि लगी है तो बहुत दूर है या कचरा पेटी इतनी भरी हुई होती है कि उसमें से कचरा बाहर गिरता रहता है इसलिये निगम की गाड़ी न आने पर कचरा खाली प्लाट या मैदान में फेंक दिया जाता है।
सर्वे का चौथा प्रश्न था कि स्वच्छ भारत अभियान लागू होने से नागरिकों के बीच साफ-सफाई को लेकर कितनी जागरुकता आई है? शहरी-ग्रामीण कस्बों सभी क्षेत्रों में अधिकांश लोगों ने स्वीकार किया कि अभियान के शुरु होने से लोगों में जागरुकता आई है लेकिन सभी की अपेक्षायें सरकार, निगम या दूसरे लोगों से अधिक है, साफ-सफाई को लेकर स्वयं के योगदान को लोग अनदेखा कर रहे है आज भी लोगों की सोच यह बनी हुई है कि मेरे अकेले के करने से क्या होगा।
पांचवा प्रश्न था कि स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में आपका व्यक्तिगत योगदान किस प्रकार है? व्यक्तिगत योगदान में लोगों का जवाब था कचरा को इधर-उधर न फेंककर कचरा पेटी में ही फेंके है। घर के बाहर रैपर या रिफिल का इस्तेमाल करने पर खाली पैकेट कूड़ेदान में ही डालते है। अधिकांश सफाई कर्मियों एवं रहवासियों का एक सुझाव यह भी था कि सर्वाधिक कचरा गुटका के पाउच के होता है अत: ढेलों में कचरा पेटी जरुर रखा जाये तथा सार्वजनिक भोज एवं भोग में डिस्पोजल सड़क किनारे ही फेंक दिये जाते है इसके लिये आयोजकों हेतु कठोर नियम बनाये जाये कि सार्वजनिक पूजा, भोग एवं भोज का आयोजन करने पर कचरा पेटी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
अंतिम प्रश्न था कि क्या आपको लगता है कि स्वच्छ भारत अभियान एक सफल अभियान है। यदि हॉ तो क्यों? और नहीं तो क्यों? इसके उत्तर में स्वच्छ भारत अभियान को सफल माना गया, इसका कारण अभियान के प्रचार-प्रसार से लोगों में जागरुकता को बताया गया है। स्वच्छता अभियान की असफलता का कारण यह बताया गया कि कुछ लोग अभी भी व्यक्तिगत रुप से अभियान को लेकर जागरुक नहीं है उन्हें सफाई की जिम्मेदारी सरकार, निगम या निकाय की लगती है दूसरा कारण अभी भी सार्वजनिक स्थलों, दुकानों एवं रहवासियों स्थानों में कचरा पेटी की अनुपलढधता है। अत: हर स्थान पर कचरा पेटी (1) स्वच्छता नियमों का पालन न करने पर आर्थिक दण्ड का प्रावधान हो। (2) पान-ढेले, चाय-ढेले एवं छोटी दुकानों में अनिवार्य रुप से कचरा पेटी और दुकान बंद होने पर ढेले का इक_ा कचरा, निष्चित कचरा पेटी में डालने की अनिवार्यता हो।
निष्कर्ष यह निकला कि स्वच्छता अभियान की सफलता सरकार निगम निकाय के प्रयास के अलावा व्यक्तिगत जागरुकता पर निर्भर करती है। सर्वे का प्रश्न एवं विद्यार्थियों का समूह निर्धारण शिक्षा विभाग की सहायक प्राध्यापिका श्रीमती जया तिवारी ने किया, उन्होंने बताया कि स्वच्छता सर्वे का मुख्य उद्देश्य लोगों में स्वच्छता अभियान के प्रति जागरुकता लाना है तथा उन कारणों का पता लगाना है कि हम स्वच्छता अभियान को सौ फीसदी सफल क्यों नहीं बना पा रहे है।
प्राचार्य डॉं. हंसा शुक्ला ने कहा कि सामुदायिक कार्य में दिन विशेष बच्चे किसी विशेष क्षेत्र की सफाई न करे, बल्कि इस तरह का सर्वे से स्वच्छता अभियान में सरकार और लोगों की कमी को जानकर उसे दूर करने हेतु आवश्यक योजना बनाई जायेगी इस तरह वर्श 2019 में स्वच्छ भारत के स्लोगन को हम साकार कर पायेंगे।