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जिस मंच पर हुआ गुरुजनों का सम्मान, वहां सराही गई लेखनी

Apr 7, 2018

भिलाई। शुक्रवार 6 अप्रैल, 2018 की वह शाम मेरे जीवन की एक अनमोल धरोहर बन गई। मौका था डॉ संतोष राय की तीसरी पीएचडी को सेलीब्रेट करने का। सामने की पंक्ति में वो अध्यापक बैठे थे जिनके चरणों में बैठकर मैंने शिक्षा हासिल की थी। डॉ अमिताभजी दत्ता, डॉ हरिनारायणजी दुबे, डॉ प्रमोद शंकरजी शर्मा, डॉ आरपी अग्रवाल, डॉ सय्यद सलीम अकील। इनमें से डॉ दुबे ही एक अकेले थे जो विज्ञान संकाय से थे। मैं वाणिज्य संकाय का विद्यार्थी था। डॉ अकील उन दिनों अध्यापक नहीं थे जब मैं पढ़ रहा था। डॉ एनएस बघेल, डॉ बीपी अग्रवाल, डॉ एआर वर्मा की अनुपस्थिति खल रही थी।भिलाई। शुक्रवार 6 अप्रैल, 2018 की वह शाम मेरे जीवन की एक अनमोल धरोहर बन गई। मौका था डॉ संतोष राय की तीसरी पीएचडी को सेलीब्रेट करने का। सामने की पंक्ति में वो अध्यापक बैठे थे जिनके चरणों में बैठकर मैंने शिक्षा हासिल की थी। डॉ अमिताभजी दत्ता, डॉ हरिनारायणजी दुबे, डॉ प्रमोद शंकरजी शर्मा, डॉ आरपी अग्रवाल, डॉ सय्यद सलीम अकील। इनमें से डॉ दुबे ही एक अकेले थे जो विज्ञान संकाय से थे। मैं वाणिज्य संकाय का विद्यार्थी था। डॉ अकील उन दिनों अध्यापक नहीं थे जब मैं पढ़ रहा था। डॉ एनएस बघेल, डॉ बीपी अग्रवाल, डॉ एआर वर्मा की अनुपस्थिति खल रही थी। यह मौका इसलिए खास था कि जिस मंच पर मेरे गुरुजनों का सम्मान हुआ वहां मेरा भी परिचय दिया गया। किसी पद, किसी उपलब्धि के लिए नहीं बल्कि विशुद्ध रूप से मेरी लेखनी को सराहा गया।गुरुजनों की उपस्थिति में मिली यह सराहना, वस्तुत: मेरे गुरुओं का सम्मान है। यह वह संपत्ति है जो मेरे गुरुओं ने मुझे दी है, और जिसे कोई मुझसे कभी छीन नहीं सकता। शुक्रगुजार हूँ डॉ संतोष राय का जिन्होंने मुझे इस अनमोल घड़ी का तोहफा दिया। यह सम्मान महापौर देवेन्द्र यादव की उपस्थिति में भिलाई के अकेले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर श्री राजेश चौहान के हाथों प्राप्त हुआ, जिसने इसे और खास बना दिया। देवेन्द्र यादव जहां देश के सबसे कम उम्र के स्टूडेंट मेयर हैं वहीं राजेश चौहान अकेले ऐसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं जिनके टीम में रहते भारत ने कभी कोई मैच नहीं हारा। इस आनन्द को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।

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