भिलाई। संतोष रूंगटा समूह द्वारा भिलाई के कोहका-कुरूद रोड में संचालित रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज (आरईसी) के सिविल ब्रांच के डिप्लोमा इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स कमल विहार, रायपुर तथा जैन इंडस्ट्रीज, दुर्ग का भ्रमण कर निर्माण एवं उत्पादन की तकनीकों से अवगत हुए। स्टूडेंट्स को मुख्यत: प्रोजेक्ट्स तथा इंडस्ट्री की कार्य प्रणाली से अवगत कराने इस विजिट का आयोजन किया गया। संतोष रूंगटा समूह के डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. सौरभ रूंगटा ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट तथा रियल इस्टेट के क्षेत्र में तेजी आई है जिससे सिविल इंजीनियर्स तथा डिप्लोमा इंजीनियर्स की डिमांड भी बढ़ी है। कमल विहार, रायपुर की विजिट के दौरान स्टूडेंट्स ने निर्माण की नई तकनीकों, यंत्रों तथा प्रोजेक्ट प्लानिंग संबंधी ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने विजिट के दौरान 2.5 एमएलडी कैपेसिटी के अंडरग्राउण्ड जलाशय का निरीक्षण किया जो कि इस टाउनशिप के 4 सेक्टर्स की जल आपूर्ति करने में सक्षम है। इसके अलावा ड्रैनेज सिस्टम, गंदे पानी की निकासी हेतु सीवरेज सिस्टम का अवलोकन तथा निर्माणाधीन सेवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण कर इसके निर्माण संबंधी जानकारी प्राप्त की तथा इसके पश्चात इस प्लांट के माध्यम से होनेवाले सेवेज ट्रीटमेंट की कार्यप्रणाली के संबंध में जाना। कमल विहार प्रोजेक्ट के इंचार्ज अनुराग श्रीवास्तव ने स्टूडेंट्स को इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि प्रोजेक्ट को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने हेतु पूरी प्लानिंग की गई है और इसी दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है।
जैन इंडस्ट्रीज, दुर्ग की विजिट के दौरान स्टूडेंट्स ने ब्रिक मेकिंग तथा टाइल्स मैन्यूफैक्चरिंग की प्रक्रिया को जाना। इस दौरान स्टूडेंट्स ने देखा कि किस तरह क्रशर डस्ट, फ्लाई एश तथा सीमेंट को एक विशेष अनुपात में मिलाकर फ्लाई एश ब्रिक्स का निर्माण किया जाता है। इसके पश्चात क्रशर डस्ट, ओपीसी सिमेंट तथा कलर्ड सिमेंट को मिलाकर टाईल्स बनने की प्रक्रिया भी देखी। इसके अलावा स्टूडेंट्स ने इस प्लांट के विभिन्न विभागों तथा यूनिट का निरीक्षण भी किया। जैन इंडस्ट्रीज के इंचार्ज कमलेश जैन ने स्टूडेंट्स को विस्तारपूर्वक कार्यप्रणाली तथा निर्माण प्रक्रिया के संबंध में जानकारी प्रदान की।
इन इंडस्ट्रियल विजिट्स के सफल आयोजन में कॉलेज के फैकल्टी कोडिर्नेटर्स प्रो. रविराज सिंह गब्बी, कौशल प्रजापति, दीपनयन नोवलकर, रोहित पाहूजा तथा हफजूर रहमान का उल्लेखनीय योगदान रहा।