भिलाई। गाय या गौवंश केवल भारत में ही नहीं पूजी जाती, पूरी दुनिया में उसे सम्मान दिया जाता है। इन देशों में कई मुस्लिम राष्ट्र भी शामिल हैं। इन देशों में गाय पर डाक टिकट और सिक्कों के साथ ही करंसी भी प्रचलन में रही है। विश्व के कई देशों में आज भी गाय का प्रतीकात्मक उपयोग किया जाता है। यह कहना है पिछले साढ़े तीन दशक से गौकरूणा अभियान चला रहे तेजकरण जैन का। अपनी बात को मय साक्ष्य लोगों के सामने रखने के लिए वे अपने संग्रह की नि:शुल्क प्रदर्शनी लगाते हैं।तेजकरण जैन बताते हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला है, गाय का दूध पी रह हैं। उनके घर में देसी गाय पाली जाती है। स्कूल जीवन में विभिन्न वस्तुओं के संग्रह का शौक लगा जो आगे चलकर एक जुनून में तब्दील हो गया। उन्होंने अपने सभी प्रयासों को गाय से जुड़े प्रतीकात्मक चीजों के संग्रह पर केन्द्रित कर दिया।
700 फीट लंबी प्रदर्शनी
तेजकरण जैन के पास 40 विषयों में बंटी इतनी सामग्री है कि उसकी प्रदर्शनी 700 फीट लंबी हो जाती है। इस संकलन को 400 शीट्स पर चिपकाया गया है। इस संकलन के लिए उनका नाम लिम्का बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्ड्स सहित अन्य रिकार्ड बुक्स में शामिल किया गया है। इस प्रदर्शनी में दुनिया भर से जुटाए गए डाक टिकट, फर्स्ट डे कवर, प्राचीन सिक्के और करंसी नोट शामिल हैं। वे बताते हैं कि लगभग 75 देशों के स्टैम्प, सिक्के व करंसी में गोवंश की झलक दिखाई देती है। इस संकलन में एक 100 ट्रिलियन डॉलर का एक नोट आकर्षण का केन्द्र है। इसके वाटरमार्क में गाय का चित्रण किया गया है।
प्रदर्शनी से जागरूकता : तेजकरण जैन से इस प्रतिनिधि की मुलाकात दुर्ग के इंडिया कॉफी हाउस में आयोजित इंटैक की सालाना बैठक में हुई। श्री जैन ने बताया कि विश्व के 75 देशों की करंसी, डाक टिकट, डाक सामग्री सहित मोहरों पर छपी गाय की फोटो को एकत्रित कर वह दिखा रहे हैं कि जब विदेश में गाय के प्रति लोगो में प्रेम है तो धर्म-संस्कृति की राजधानी वाले देश में क्यों लोग देसी गायों का पालन छोड़ पैसे की दौड़ में जर्सी गायों को महत्ता दे रहे हैं।
30वीं प्रदर्शनी 24-25 को : तेजकरण जैन अपने संकलन की 30वीं प्रदर्शनी 24 एवं 25 अगस्त 2019 को बालोद के महावीर इंग्लिश मीडियम स्कूल में लगाने जा रहे हैं।