एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग ने सड़क हादसों का शिकार हुए लोगों को किया याद
भिलाई। सड़क हादसे का शिकार न केवल स्वयं पीडि़त होता है बल्कि उसका पूरा परिवार इसकी चपेट में आ जाता है। इसका प्रभाव उसके परिजनों एवं समाज पर भी पड़ता है। सड़क हादसों की रोकथाम एवं इन दुर्घटनाओं में होने वाली क्षति को कम करने के लिए निरंतर प्रयास किये जाने चाहिए। यह बातें आज एमजे कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्राचार्य सी कन्नम्मल ने कहीं। श्रीमती कन्नमल ने दुनिया भर में सड़क हादसों का शिकार हुए लोगों की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं। इस दिवस का आयोजन नवम्बर के तीसरे रविवार को पूरी दुनिया में किया जाता है। उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करने के कारण उनके पति की एक सड़क हादसे में मृत्यु हो गई। उन्होंने अपना जीवन साथी खोया और बच्चों ने अपना पिता। किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने अपना भाई। उन्होंने कहा कि हेलमेट नहीं लगाने के बहाने बनाना, नशे की हालत में गाड़ी चलाना, मजा लेने के लिए रैश ड्राइविंग करना, ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना, गाड़ी का मेन्टेनेन्स नहीं करना, खराब मौसम जैसे अनेक कारक सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।
महाविद्यालय की डायरेक्टर श्रीलेखा विरुलकर के निर्देश पर आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उप प्राचार्य सिजी थॉमस ने कहा कि सड़क दुर्घटना में घायल होने या मृत्यु होने पर पूरा परिवार मानसिक संत्रास से गुजरता है। यह परिवार को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ देता है। सड़क दुर्घटना से मृत्यु जहां स्थायी क्षति है वहीं स्थायी अपंगता से पूरा जीवन अभिशप्त हो जाता है।
कार्यक्रम का संचालन सहा. प्राध्यापक दीपक रंजन ने कहा कि देश में प्रतिवर्ष 1.5 लाख से ज्यादा लोग सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं जिनमें से अधिकांश युवा होते हैं। यह समाज की जिम्मेदारी है कि वह पुलिस का सहयोग करे, नियमों का पालन करे और दुर्घटना रोकने के हर संभव उपाय करे।
इस अवसर पर बीएससी नर्सिंग की छात्राओं ने एक लघु नाटक का मंचन भी किया। इसमें दिखाया गया कि किस तरह बच्चे जिद करके बिना हेल्मेट लिये घर से निकल जाते हैं और फिर गंभीर रूप से घायल होकर घर लौटते हैं। बच्चों ने नाटक के माध्यम से सड़क सुरक्षा के लिए संदेश दिये।