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कहां चीन और कहां इटली, कोरोना वायरस ने पसारे पांव : मुदित सिंह

Feb 28, 2020

शंकराचार्य महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का डीजी सीकॉॅस्ट ने किया उद्घाटन

CCOST sponsored 2 day International Seminar organized at SSMVभिलाई। बीमारियों के फैलने का कारण, उनकी रोकथाम तथा चिकित्सा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। बावजूद चुनौतियां जस की तस बनी हुई हैं। कोरोना वायरस ने चीन में महामारी का रूप ले लिया। पर बजाए अड़ोस पड़ोस के राज्यों में पैर पसारने के वह सीधे इटली जा पहुंचा। कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित देशों में इटली दूसरे स्थान पर है। इसलिए शोध के क्षेत्र में ज्ञान का आदान प्रदान बेहद जरूरी हो जाता है। उक्त उद्गार छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (सीकॉस्ट) के महानिदेशक मुदित कुमार सिंह (आइएफएस) ने आज श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुए कहीं।Seminar-SSMV e-souvenir e-souvenir released to save environment and trees under go-green initiative‘न्यू माइक्रोबियम रिसर्च एरा फॉर ह्यूमन हेलफेयर एंड क्योर ऑफ इंफेक्शस डिजीजेज’ पर आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि बीमारियों को समझने तथा उनकी रोकथाम एवं इलाज की दिशा में तेजी से काम करने की जरूरत पड़ती है। छत्तीसगढ़ में भी शोध रहे हैं। देश विदेश के वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाने से शोध कार्यों में तेजी आएगी। उन्होंने श्री शंकराचार्य महाविद्यालय को इस अवसर पर बधाई एवं शुभकामनाएं भी दीं। साथ ही ज्ञान विज्ञान का लाभ समाज के बीच पहुंचाने दी दिशा में श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के प्रयासों को सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।
जर्मनी के अपने अनुभवों को याद करते हुए डॉ मुदित कुमार सिंह ने कहा कि विभिन्न रोगों के इलाज के लिए वे प्रकृति को प्राथमिकता देते हैं। बीमारी यदि प्राकृतिक तरीकों से ठीक हो सकती है तो नेचर थेरेपी ही अपनाई जाती है। रोग के अनुसार होमियोपैथी, आयुर्वेद एवं एलोपैथी की मदद ली जाती है। वहां के चिकित्सक इन तीनों विधाओं में पारंगत होते हैं और रोग के अनुसार विधि का चयन करते हैं।
इससे पूर्व वक्ताओं का स्वागत करते हुए महाविद्यालय की निदेशक एवं प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह ने प्रकृति की सुरक्षा के प्रति चिंता जताते हुए बताया कि महाविद्यालय इस दिशा में सतत् प्रयत्नशील है। पर्यावरण की सुरक्षा, स्वच्छता तथा जल संरक्षण की दिशा में महाविद्यालय द्वारा किये गये प्रयासों को भिलाई नगर पालिक निगम ने भी सराहा है। यही नहीं महाविद्यालय अब स्वच्छ एवं हरित भिलाई अभियान में नगर निगम का सक्रिय साझीदार भी है। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय विभिन्न क्षेत्रों में शोध कार्यों को बढ़ावा देने तथा उन्हें राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मार्गदर्शन उपलब्ध कराता है। इस अवसर पर ई-सोवेनियर का विमोचन कर उसका पासवर्ड प्रदान किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह ने कहा कि इसका उद्देश्य कागज की बर्बादी को रोकना है। यदि हम कागजों का उपयोग कम कर सकें तो इससे पर्यावरण का भला होगा। इस ई-सोवेनियर के प्रकाशन से हजारों पन्ने बच गए हैं। लाभार्थी अपने कम्प्यूटर पर इस ई-सोवेनियर को देख व पढ़ सकते हैं। साथ ही इसे अन्यों के साथ आसानी से साझा भी कर सकते हैं।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए काठमाण्डु विश्वविद्यालय नेपाल के डॉ भूपल गोविन्द श्रेष्ठ ने अपने शोध क्षेत्र की चर्चा की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ भी वानस्पतिक वैविध्य वाला राज्य है तथा यहां शोध की असीम संभावनाएं हैं। वहीं नागपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के प्राध्यापक डॉ टी. श्रीनिवासु ने महाविद्यालय द्वारा एक व्यापक एवं समसामयिक विषय को सेमिनार के लिए चुने जाने पर हर्ष व्यक्त किया।
इंदिरा गांधी कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में फाइन आर्ट्स के प्राध्यापक डॉ विकास चन्द्र ने चित्रों की महत्ता बताते हुए सम्प्रेषण में उसकी भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भाषा से पहले चित्रों की उत्पत्ति हुई और यह आज भी सम्प्रेषण का एक सशक्त माध्यम है।
दो दिवसीय इस राष्ट्रीय सेमिनार में संयोजक की भूमिका डॉ. रचना चौधरी एवं सह-संयोजक की भूमिका डॉ. सोनिया बजाज निभा रही हैं। संचालन सहा. प्राध्यापक डॉ. सुषमा पाठक ने किया। धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के अति. निदेशक डॉ. जे दुर्गा प्रसाद राव ने किया। सम्मेलन में 116 प्रतिभागी सम्मिलित हुए। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय जगत के विद्वान, प्रतिभागी, शोधार्थी, महाविद्यालय के प्राध्यापक गण, कमर्चारीगण एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहीं।

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