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हाइटेक से जीवित रवाना हुई थी मरीज, वीडियो व दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद

May 24, 2020

महिला चिकित्सक के साथ बदलसूली की गई, डाक्टरों व प्रबंधन से झूमाझटकी के खिलाफ कोर्ट जाएगा अस्पताल

Hitek Super Speciality Hospitalभिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल पर राजनांदगांव की एक मरीज एवं उसके परिजनों द्वारा लगाए गए आरोप न केवल सिरे से निराधार हैं बल्कि मरीज की मृत्यु के लिए स्वयं परिजन ही जिम्मेदार हैं। मरीज की हालत गंभीर थी इसके बावजूद परिजनों ने उसे लामा (लेफ्ट अगेन्स्ट मेडिकल अडवाइस) ले लिया था और अस्पताल से निकालने के बाद भी जिला अस्पताल ले जाने में देर कर दी। जिला अस्पताल जाते समय भी मरीज जीवित था, इस बात के सबूत मय सीसीटीवी फुटेज अस्पताल के पास हैं।हाइटेक के डायरेक्टर मनोज अग्रवाल ने बताया कि 67 वर्षीय मरीज को 13 मई को अस्पताल में भर्ती किया गया था। मरीज की हालत नाजुक थी। सीटी स्कैन करने पर पता चला कि उसकी अंतड़ियों में छेद है और वहां से मवाद का रिसाव हो रहा है। यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें मवाद का जहर पूरे शरीर में फैलने का खतरा होता है। डॉ नबील शर्मा ने 18 मई को मरीज की सर्जरी की और पेट के भीतरी अंगों की भी सफाई की। इसके बाद मरीज की हालत में सुधार प्रारंभ हो गया।
सर्जरी के बाद मरीज के परिजनों ने चिकित्सा व्यय वहन करने में असमर्थता जाहिर करते हुए मरीज को लामा (लेफ्ट अगेन्स्ट मेडिकल अडवाइस) कराना चाहा। 21 मई को मरीज ने स्वयं अपनी इच्छा से अस्पताल छोड़ने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी कर दिये। पर मरीज के परिजन उसे लेकर नहीं गए। अस्पताल ने चिकित्सक धर्म एवं मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए मरीज का इलाज जारी रखा। दूसरे दिन सुबह परिजन मरीज की छुट्टी कराने के लिए पहुंचे। उन्होंने आईसीयू में जमकर हंगामा किया। महिला चिकित्सकों एवं स्टाफ के साथ धक्का-मुक्की की और गाली गलौज किया। इसके बाद उन्होंने मरीज की अस्पताल से छुट्टी करा ली।
अस्पताल ने उन्हें न केवल मरीज को जिला अस्पताल ले जाने के लिए अपना एम्बुलेंस दिया बल्कि मरीज की उम्र और स्थिति को देखते हुए अस्पताल की वरिष्ठ इंटेंसीविस्ट डॉ मैथियास को मरीज के साथ भेजा। पर परिजन एक घंटे तक हाइटेक अस्पताल में ही हंगामा करते रहे जिसका खामियाजा एम्बुलेंस में लेटी मरीज को भुगतना पड़ा।
श्री अग्रवाल ने बताया कि समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि मरीज का निधन हो गया और उसका पोस्टमार्टम भी किया गया है। हमें पूरा विश्वास है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्थिति साफ हो जाएगी और मरीज की मृत्यु का समय भी निर्धारित हो जाएगा।
श्री अग्रवाल ने कहा कि हाईटेक हॉस्पिटल के आइसीयू की जिम्मेदारी इंटेंसिविस्ट डॉ अर्चना मैथियास पर है जो आस्ट्रेलिया एवं कुवैत में दीर्घ काल तक अपनी सेवाएं देती रही हैं। डॉ नबील शर्मा एक कुशल सर्जन हैं और अनेक अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप बेबुनियाद है। अस्पताल की तरफ से जांच एवं चिकित्सा संबंधी सभी दस्तावेज एवं सीसीटीवी फुटेज पुलिस को उपलब्ध करा दिये गये हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि हाइटेक की तरफ से आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा दिया गया है। महिला चिकित्सक समेत चिकित्सकों एवं स्टाफ पर हमला एवं अस्पताल के खिलाफ अनर्गल आरोप के लिए उनपर मान हानि का भी दावा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण पैदा हुए विपरीत हालातों में जब अधिकांश अस्पताल क्रिटिकल केस नहीं ले रहे हैं, हाइटेक द्वारा अपनी सभी सेवाएं जारी रखी गई हैं। चिकित्सक एवं पैरा मेडिक्स अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य को खतरे में डालकर रोगियों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाएं सर्वथा अवांछित हैं।
श्री अग्रवाल ने कहा कि अंचल की जरूरत के मुताबिक एक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल संचालित करने के लिए प्रबंधन द्वारा की जा रही कोशिशों को इस घटना से झटका लगा है।  हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में देश विदेश से उच्च शिक्षित, प्रशिक्षित एवं अनुभवी चिकित्सकों को जोड़ने की निरंतर कोशिशें की जा रही हैं। इस तरह की घटनाओं से चिकित्सा बिरादरी में भय व्याप्त हो गया है। मरीजों के वृहदतर हितों को देखते हुए ऐसी घटनाओं पर विराम लगाए जाने की जरूरत है।

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