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स्वरूपानंद महाविद्यालय में उद्यमिता एवं व्यक्तित्व विकास कार्यशाला

May 15, 2021
Entrepreneurship Skill, Personality Development

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग एवं ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट सेल के संयुक्त तत्वावधान में आईआईटी कानपुर की ई-सेल के सौजन्य से उद्यमिता एवं व्यक्तित्व विकास विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। नियाज कुरैशी आईआईटी कानपुर ई-सेल आईबीटीसी इस कार्यशाला के मुख्य वक्ता एवं प्रशिक्षक हैं।कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए संयोजक डॉ अजिता सजीत विभागाध्यक्ष वाणिज्य ने बताया आधुनिक जीवन में विद्यार्थियों की प्रगति के लिए सेल्फ स्किल डेवलपमेंट और सेल्फ डेवलपमेंट का महत्वपूर्ण स्थान है जो विद्यार्थी अपने चेतन और अवचेतन मन को समझ लेते हैं वही संतुलन स्थापित कर अपने व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास कर पाते हैं विद्यार्थियों को चेतन और अवचेतन मन के सामंजस्य के बारे में बताने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने महाविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जुझ रहा है ऐसे में इस कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थी अपने समय का सदुपयोग कर सफल उद्यमी के गुणों को आत्मसात् कर उद्यमिता की शुरूआत कर सकते है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कार्यक्रम को छात्राओं के जीवन एवं व्यक्तित्व विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए वाणिज्य विभाग एवं ट्रेनिंग प्लेसमेंट सेल के प्रयास की सराहना की और बताया की किसी भी कार्य में सफलता उस कार्य को पूरा मन लगा करने से मिलती है। हम अपने दिमाग के अलग-अलग प्रकार को आइस-बर्ग के एक उदहारण से समझ सकते है- समुन्द्र में पानी पर तैरती बड़ी बर्फ की चट्टान को आइस-बर्ग कहते है। आइस-बर्ग को पानी पर तैरता देख हमें ऐसा प्रतीत होता है जैसे बर्फ पानी पर तैर रहा है और उसका आकार भी लगभग उतना ही है जितना हम देख पा रहे है। लेकिन सच्चाई ये है के जो आइस-बर्ग का हिस्सा हम देख पा रहे है वो मात्र उस आइस-बर्ग का दस प्रतिशत ही है बाकी नब्बे प्रतिशत तो पानी के भीतर है।
कार्यशाला के प्रथम दिवस पर मुख्य वक्ता श्री नियाज कुरैशी ने जीवन में कौशल एवं व्यक्तित्व विकास dks विभिन्न कहानियां एवं गेम के माध्यम से विद्यार्थियों को रोचक तरीके से समझाया। श्री नियाज ने अपने वक्तव्य में अवचेतन अर्थात सबकॉन्शियस माइंड के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने उदाहरण के माध्यम से चेतन और अवचेतन मन के अंतर को बताया कई बार जो हम चेतन मन में नहीं कर पाते वह अवचेतन में चला जाता है और बाद में उभर कर आता है। अपनी दिनचर्या में हम जो भी सोचते है, महसूस करते है वो सभी कॉन्सियस माइंड द्वारा होता है। ये हमारे कुल माइंड का मात्र दस प्रतिशत ही होता है अपनी लाइफ में हम जो भी करते है वो सब अवचेतन मन की वजह से ही करते है। अपने अवचेतन मन का इस्तेमाल करके हम जो कुछ भी सीखते है वही हम ज़िन्दगी भर करते रहते है।जिंदगी में व्यक्ति जो भी बड़ा काम करता है वो सिर्फ और सिर्फ अपने अवचेतन मन के कारण करता है। जिस भी इंसान ने अपने अवचेतन मन पर काबू कर लिया उसके लिए कोई भी बड़ा काम मुश्किल नहीं होता। श्री कुरैशी ने महाभारत गीता के विभिन्न उदाहरणों को स्पष्ट करते हुए आज के जीवन में उसकी प्रासंगिकता बताइ।
सहायक प्राध्यापक वाणिज्य विभाग पूजा सोढा ने ओजपूर्ण और प्रेरणादाई कविता के माध्यम से विद्यार्थियों में उत्साह का संचार किया मेहनत व लगन से आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
बीकॉम प्रथम वर्ष की छात्रा प्रीति कुमारी ने चेतन मन का प्रभाव अवचेतन मन पर कैसे पड़ता है पर अपने विचार रखे। बीबीए प्रथम सेमेस्टर की छात्र प्रणव साहू ने कार्यशाला को छात्रों के लिए उपयोगी बताते हुए अपने विचार रखे। दिव्या ठाकुर बीएड प्रथम वर्ष की छात्रा ने मुख्य वक्ता के प्रश्नों का उत्तर दिया । रितेश देशमुख एमएससी बायोटेक्नोलॉजी के छात्र ने अवचेतन अर्थात सबकॉन्शियस माइंड को कैसे हम नियंत्रित कर सकते हैं पूछा जिसका उत्तर कुरैशी सर ने प्रेरणादायक कहानी के माध्यम से उत्तर दिया । कार्यशाला में महाविद्यालय के सभी विभागो के विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम में मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक वाणिज्य विभाग पूजा सोढा ने किया।

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