भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में जातिगत भेदभाव निवारण समिति एवं कला संकाय के संयुक्त तात्वावधान में छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति कला, नृत्य, गीत, आभूषण के संदर्भ में विषय पर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें निर्णायक डॉ पूनम निकुम्भ सहा. प्रा. शिक्षा विभाग, डॉ शिवानी शर्मा विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलॉजी, सप्रा सुनीता शर्मा विभागाध्यक्ष जुलॉजी थी। कार्यक्रम प्रभारी डॉ रजनी मुदलियार ने बताया छत्तीसगढ़ की संस्कृति आदिवासी बाहुल्य संस्कृति है। छत्तीसगढ़ की पहचान यहां की लोककला व लोक सांस्कृति से है।
प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कला संकाय व जाजिगत भेदभाव निवारण समिति की सराहना करते हुये कहा छत्तीसगढ़ की जनजाति कला एवं संस्कृति अनमोल है। आदिवासी समाज का जीवन जल, जंगल, जमीन से जुड़ा है। अतः इस आयोजन से विद्यार्थी आदिवासी जनजीवन को समझ पायेंगे।
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ दीपक शर्मा ने आदिवासी दिवस की बधाई दी एवं आदिवासी संस्कृति व कला के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करने की महाविद्यालय के पहल की सराहना की व कहा यह दिन दुनिया भर के आदिवासी समुदायों के अधिकारों और उनकी संस्कृति और भाषा को सम्मान देने का अवसर है।
कला संकाय प्रभारी डॉ सुनीता वर्मा ने बताया विद्यार्थियों ने बहुत सुन्दर पोस्टर बनाये जिसमें आदिवासियों की कला संस्कृति जीवंत हो उठी है जो विद्यार्थियों के कलात्मक रूचि के साथ.साथ छत्तीसगढ़ संस्कृति के प्रति उनके जुड़ाव को प्रगट करता है। पोस्टर में विद्यार्थियों ने आदिवासियों के जनजीवन, संस्कृति उनके खेल तथा पारंपरिक उत्सव को उकेरा इससे स्पष्ट होता है कि विद्यार्थी आदिवासी जनजीवन को जानते है।
पोस्टर प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों के नाम इस प्रकार है .
प्रथम. दिव्या ठाकुर एवं विष्णु कुमार, द्वितीय- रुचि निषाद एवं सुपर्णा भगत तथा तृतीय सोनिया जसवाल एवं दीपा साहू। सांत्वना- मंजू नेताम एवं दिशा यादव। कार्यक्रम को सफल बनाने में जातिगत भेदभाव निवारण समिति सदस्य जानकी जंघेल, ने विशेष योगदान दिया।