भिलाई। संजय रूंगटा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के द्वारा संचालित आरएसआर रूंगटा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजीएवं भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क), मुंबई के संयुक्त तत्वाधान मे “बार्क आउटरीच एंड अवेयरनेस प्रोग्राम” के तहत “आजादी का अमृत महोत्सव” का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य ह्लशांति, शक्ति और समृद्धि के लिए परमाणु ऊर्जा का महत्व एवं जानकारी को बढ़ावा देनाह्व है। कार्यक्रम के तहत एक सेमिनार एवं प्रदर्शिनी का आयोजन किया गया। सेमिनार के प्रमुख वक्ता बार्कसे आए हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सुधांशु सक्सेना, डॉ. पी.सी. सरोज, डॉ. आर.के. सिंह एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. दीपक शर्मा व अनुसंधान/प्लांट ब्रीडर डॉ परमेश्वर साहू रहे।
भाभा के वैज्ञानिको ने बताया कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क), मुंबई कृषि, खाद्य संरक्षण, स्वास्थ्य, उद्योग, पेयजल शुद्धिकरण, रेडियो फार्मास्युटिकल्स, रेडियो आइसोटोप्स, परमाणु प्रौद्योगिकी और राष्ट्रीय सामरिक मिशनों के उत्पादन के क्षेत्र में योगदान देने वाला बहु-विषयक अनुसंधान केंद्र है। उन्होने बार्क द्वारा संचालित अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओ से अवगत कराते हुए बताया कि पिछले वर्षों में बार्क ने 52 विभिन्न किस्मों के फसल का विकास किया है। बार्क द्वारा कृषि और बूचड़खानों के अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण के लिए निसर्ग ऋण बायोगैस प्रौद्योगिकी का विकास किया है। बार्क ने भारत में 50 से अधिक गांवों में जल उपचार प्रौद्योगिकी का विकास किया है।
भाभा द्वारा विकसित भाभा कवच एक बुलेटप्रूफ जैकेट है जो खतरे के विभिन्न स्तरों की व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करता है तथा इस जैकेट के निर्माण में बार्क में विकसित एक विशेष प्रक्रिया लेवल 3 और लेवल 3+ का उपयोग किया जाता है। वैज्ञानिकों ने बार्क द्वारा निर्मित नए अनुसंधान रिएक्टर अप्सरा-यू के बारे में भी जानकारी साझा की ेइसके साथ बार्क द्वारा अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में योगदान संबन्धित जानकारी प्रदान की गई। आगे सेमिनार मे वैज्ञानिको ने सुपर कम्प्युटर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सुपर कंप्यूटर का विकास बहु-विषयक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए एवं कंप्यूटिंग और संचार सुविधाओं की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से हुआ है। बार्क में अनुपम सुपरकंप्यूटर प्रोजेक्ट पिछले कुछ दशकों से नंबर क्रंचिंग पावर की लगातार बढ़ती मांग को पूरा कर रहा है।
बार्क द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम मे वैज्ञानिको ने खाद्य प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉन बीम विकिरण प्रौद्योगिकी और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपने ज्ञान और अनुसंधान के अवसरों के बारे में बताया।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. दीपक शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय एवं बार्क के संयुक्त प्रयासों से छत्तीसगढ़ का पहला हाइब्रिड चावल (इंदिरा सोना) और छत्तीसगढ़ का पहला चावल म्यूटेंट (ट्रॉम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेंट -1) विकसित किया गया है और विकिरण प्रेरित उत्परिवर्तन प्रजनन की मदद से छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चावल भूमि से 05 चावल म्यूटेंट विकसित किए हैं। श्री शर्मा ने बताया कि वे छत्तीसगढ़ राज्य के लिए चावल की 18 किस्मों के विकास के लिए टीम के सदस्य रहे थे।
सेमिनार के पश्चात तकनीकी पोस्टर प्रस्तुति के साथ विभिन्न क्षेत्रों में उनके शोध का प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शिनी का उदघाटन ग्रुप चेयरमेन संजय रुंगटा ने किया। संगोष्ठी में विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्र के शोधकर्ताओं, संकायों और स्नातक छात्रों ने भाग लिया। प्रदर्शिनी मे चेयरमैन संजय रूंगटा, डायरेक्टर साकेत रूंगटा, प्रिंसिपल डॉ एसवी देशमुख, डीन डॉ लोकेश सिंह, एमबीए विभाग प्रमुख डॉ जे. अंजनेय ने अपनी गरिमामय उपस्थिती दर्ज कराई। सेमिनार एवं प्रदर्शिनी का आयोजन प्रो. संदीप सोमकुवर और प्रो. प्रतीक पंड्या ने छात्र समिति के सदस्यों के सहयोग से किया। सफल संचालन के लिए ग्रुप चेयरमेन संजय रूंगटा आयोजन समिति को बधाई प्रेषित की।