पोकरण। थार कहें या पोकरण, दोनों ही नाम दिमाग में उथल पुथल मचा देते हैं। नई पीढ़ी भी इन दो नामों से बाखूबी वाकिफ है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित सरहदी जिला जैसलमेर इसे थार मरूस्थल में है। इसी जिले में जैसलमेर-पोकरण के बीच प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल भादरियाराय माता मंदिर स्थित है। जगदम्बा सेवा समिति ने यहां एक विशाल पुस्तकालय की नींव रखी है। समिति ने विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं व सुधी पाठकों के लिए विभिन्न ग्रंथों को एक ही स्थान पर जमा करने का प्रयास किया है। उनकी इसकी इस कोशिश ने थार के रेतीले धोरों के बीच एशिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय खड़ा कर दिया है।
सन् 1981 में जगदम्बा सेवा समिति के संस्थापक संत हरवंशसिंह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज ने यहां मंदिर और धर्मशाला के साथ ही पुस्तकालय की भी नींव रखी थी। वर्तमान में यहां एक करोड़ से भी अधिक कीमत की विभिन्न तरह की साहित्यक, ऐतिहासिक, ज्ञानवर्धक व विधि से संबंधित पुस्तकें उपलब्ध है तथा पुस्तकों के संग्रह का कार्य निरंतर रूप से आज भी जारी है। पुस्कालय के लिए यहां पर दो विशाल भवन बनाए गए है। एक में पुस्तकों का अध्ययन करने के लिए व्यवस्था की गई है। दूसरे भवन में सैकड़ों की संख्या में निर्मित अलमारियों में उन्हें संग्रहित कर रखा गया है। यहां बने अध्ययन केन्द्र में एक साथ सैकड़ों लोग एक ही समय में बैठकर इन पुस्तकों का अध्ययन कर सकते है।
इन पुस्तकों का किया गया है संग्रह
यहां समिति देश के जाने माने साहित्यकारों की रचनाओं के साथ ही विश्व के दुर्लभ साहित्य को भी एकत्रित करने के प्रयास में जुटी है। इस पुस्तकालय में विश्व के कुल 11 धर्मों में से सात धर्मों का सम्पूर्ण साहित्य उपलब्ध है। कानून की आज तक प्रकाशित सभी पुस्तकें, वेदों की सम्पूर्ण शृंखलाएं, भारत का संविधान, विश्व का संविधान, जर्मन लेखक एफ मैक्स मुलर की रचनाएं, पुराण, एन साइक्लोपिडिया की पुस्तकें, आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषेद, देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण विभिन्न शोध की पुस्तकों सहित हजारों तरह की पुस्तकें यहां उपलब्ध है।
यह है खास
– 562 आलमारियां, 16 हजार फीट की रेक, दुर्लभ साहित्य की माइक्रो सीडी के लिए 18 कमरे, 275 व 370 फीट की दो सहित कुल चार गैलरियां, 60 गुणा 365 फीट का अध्ययन कक्ष जिसमें चार हजार लोग एक साथ बैठ सकते हैं।