भिलाई। एसिडिटी आज एक आम समस्या है. यह समस्या तमाम कारणों से हो सकती है. भारत की 70 से 80 फीसदी आबादी बैक्टीरिया एच-पाइलरी से संक्रमित है जो एसिडिटी का कारण हो सकता है. इसके अलावा बिगड़ी हुई जीवन शैली, खान पान, आरामतलब जिन्दगी और तनाव भी इसका कारण हो सकते हैं. इसलिए एसिडीटी के सही कारणों का पता लगाना भी इलाज जितना ही जरूरी हो जाता है. उक्त बातें हाइटेक सुपरस्पेशाल्टी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ आशीष देवांगन ने कहीं. उन्होंने कहा कि कभी यह अधेड़ उम्र की समस्या होती थी पर अब यह किशोर उम्र के बच्चो में भी दिखाई दे रही है. किशोरों एवं युवाओं में यह समस्या बिगड़े खान-पान, बिगड़ी जीवन शैली और अनिद्रा के कारण ज्यादा दिखाई देती है. फास्ट फूड और जंक फूड में कैलोरी कम होती है पर नमक और मसाला अत्यधिक होता है जो शरीर के लिए घातक होता है.
उन्होंने कहा कि बड़े लोगों में यह समस्या लंबे काम के घंटे, बहुत कम शारीरिक परिश्रम और तरह तरह की दर्द निवारक औषधियों का बेधड़क सेवन है. गठिया, सिरदर्द, घुटना या कमर दर्द, खून पतला करने की दवाइयों का अनियंत्रित सेवन भी यह समस्या पैदा कर सकती है. इसलिए बिना चिकित्सक की सलाह के अपनी इच्छा से दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए.
डॉ देवांगन ने बताया कि यदि एसिडिटी की समस्या को लंबे समय तक बने रहने दिया जाए तो यह दूसरी बड़ी समस्याएं पैदा कर सकती हैं. तीन से छह महीने तक अगर यह समस्या बनी रही तो ड्यूडेनम (ग्रहणी) में अल्सर हो सकता है. एन्डोस्कोपी जांच से इसका पता लगाया जा सकता है. प्रारंभिक चरणों में इसका इलाज औषधियों से किया जा सकता है. विशेष परिस्थितियों में सर्जिकल इंटरवेंशन की भी जरूरत पड़ सकती है.
उन्होंने कहा कि एसिडिटी की समस्या यदि एक सप्ताह से ज्यादा खिंच जाए तो तत्काल किसी योग्य गैस्ट्रो विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए ताकि इसके सही कारणों का पता लगाया जा सके. सटीक इलाज से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है जिससे जीवन की गुणवत्ता में इजाफा हो सकता है.