दुर्ग. सूक्ष्मजीव विज्ञान से संबंधित प्रौद्योगिकी के रूझानों पर 9 से 14 जनवरी को आयोजित कार्यशाला एवं व्यक्तिगत प्रशिक्षण कार्यक्रम में इलाइजा तकनीक द्वारा रोग निदान, नैनो तकनीकी एवं बायो इन्फाॅरमैटिक्स जैसे आधुनिक एवं विकसित शाखाओं पर विस्तारपूर्वक सूचनाएं प्रदान की गई. सिम्स, नागपुर सिद्याचलम लैब, रायपुर एवं माइक्रो बायोलाॅजिस्ट सोसायटी, इंडिया के संयुक्त तत्वावधान एवं सहयोग से आयोजित इस कार्यषाला में सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग के कुल 47 स्नातकोत्तर एवं शोध विद्यार्थियों ने भाग लिया.
कार्यशाला में सिम्स की ओर से अनुसंधान अधिकारी, पायल खुलखुले एवं दीक्षा देशबरतार ने इलाइजा तकनीक के प्रकार एवं विभिन्न आयामों का प्रशिक्षण देते हुऐ उनके विभिन्न अनुप्रयोगों को विस्तारित किया. सिम्स, नागपुर के अनुसंधान निदेशक डाॅ. राजपाल सिंह कश्यप ने संस्थान की चिकित्सा सेवा के अलावा उपलब्ध विस्तार सुविधाओं पर प्रकाश डालते हुए मेडिकल माइक्रोबायोलाॅजी के अपार दायरों एवं रोजगार संभावनाओं का विवरण प्रस्तुत किया.
माइक्रोबायोलाॅजिस्ट सोसायटी, इंडिया के राष्ट्रीय समन्वयक डाॅ. संजीव पाटणकर ने पैनल चर्चा के माध्यम से सोसायटी के कार्यों एवं योजनाओं से अवगत कराते हुए विद्यार्थियों की विषय से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान किया. जिंक माॅलिब्डेट आधारित नैनो कंपोजिट का संष्लेषण एवं उनके अनुप्रयोगो को, सिद्याचलम लैब, रायपुर की निदेषक डाॅ. भावना जैन ने व्यक्तिगत प्रषिक्षण के माध्यम से विस्तारित किया. डाॅ. जैन ने संष्लेषित नैनों कणों की जीवाणु नाषक एवं फफूंद नाषक प्रकृति का प्रदर्षन किया. साथ ही प्रकृति में इन नैनों कणों द्वारा रंजक पदार्थों के अपचयन को भी समझाया. आधुनिक युग में जैविकी अध्ययन हेतु आवष्यक शाखा बायोइन्फाॅरमैटिक्स संबंधी जानकारी भिलाई महिला महाविद्यालय की प्राध्यापक डाॅ. रंजना साहू ने प्रदान की. कम्प्यूटर आधारित इस शाखा में भारत के अलावा, यूरोप एवं जापान में स्थित आणविक डेटा बैंक से जानकारी प्राप्त करना, एवं उनके उच्चस्तरीय अध्ययनों के उपयोग में यह शाखा स्थानीय से वैष्विक संयोजकता प्रदान करती है एवं आधुनिक युग में जीव विज्ञान से जुड़े हर विद्यार्थी को बायोइनफाॅरमेटिक्स के टूल्स एवं साॅफ्टवेयर की जानकारी एवं उपयोग करने की विधि जानना आवष्यक है.
कार्यशाला के अंतिम दिन प्रतिभागियों ने अपने अनुभवों को साझा किया. समापन सत्र उच्च षिक्षा विभाग के क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक डाॅ. सुशील चंद्र तिवारी की उपस्थिति में संपन्न हुआ. डाॅ. तिवारी ने विद्यार्थियों को अपने विषय क्षेत्र से बाहर जाकर अध्ययन एवं अनुसंधान करने हेतु प्रेरित किया एवं इस तरह के प्रषिक्षण के बाद स्वयं के व्यवसाय अथवा रोजगार की संभावनाओं पर विचार करने को कहा. उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि विज्ञान को सामान्य जन मानस तक पहुंचाने हेतु इस तरह के कार्यक्रम उपयोगी सिध्द होते है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह ने इस तरह के कार्यक्रम को विभाग की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि विद्यार्थियों को आधुनिक अनुसंधानों से अवगत कराना वर्तमान समय की बहुत बड़ी मांग है, जो न केवल विद्यार्थियों को बल्कि विभाग एवं महाविद्यालय को उत्तरोत्तर प्रगति की ओर लेकर जाता है. कार्यषाला में महाविद्यालय की आईक्यूएससी संयोजक डाॅ जगजीत कौर सलूजा एवं रसायन शास्त्र की विभागाध्यक्ष डाॅ. अनुपमा अस्थाना ने विद्यार्थियों को शुभकामनायें प्रदान की.
कार्यशाला की परिकल्पना विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रज्ञा कुलकर्णी ने प्रस्तुत की एवं कार्यशाला में विभागीय सदस्य नीतू दास, अनामिका शर्मा, प्रिया साव, मृणालिनी सोनी एवं नीतू भार्गव का सहयोग प्राप्त हुआ.