रायपुर. शहर के राजेन्द्र नगर में विश्वकर्मा जी का आवास. छत पर एम्पलीफायर, मिक्सर, की-बोर्ड से सज्जित संगीत कक्ष. यहां तीन जिलों के लगभग 30 संगीत प्रेमी जुटे हैं. इनमें से कुछ मंजे हुए गायक हैं तो कुछ अभी सीख रहे हैं. पर इस बेजोड़ महफिल की सबसे शानदार बात यह रही कि प्रत्येक प्रस्तुति को दाद मिली, उसे सराहा गया. लब्धप्रतिष्ठ संगीतकार एवं गायक ज्ञान चतुर्वेदी की अगुवाई में आयोजित इस सुरमयी शाम को चार चांद लगा दिए मेजबान विश्वकर्मा दंपति ने.
कभी ट्रिपल-एम से सुर्खियों में आए ज्ञान चतुर्वेदी पिछले काफी समय से गायन में रुचि रखने वाले ज्येष्ठ नागरिकों को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. आज पूरे प्रदेश के लगभग 100 गायक-गायिकाएं उनसे जुड़ी हुई हैं. इसलिए भिलाई के बाद रायपुर में हुआ यह आयोजन भी अपेक्षित ही था. इसमें राजनांदगांव से भी साथी कलाकारों ने भाग लिया. गायकों में से सभी या तो सीनियर सिटिजन्स हैं या फिर दहलीज पर खड़े हैं. इनमें युवा वरिष्ठ नागरिक श्री चतुर्वेदी के अलावा विनोद वाधवा और आकाशवाणी के पूर्व उद्घोषक राजेन्द्र शर्मा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है.
छत्तीसगढ़ गायन श्रेष्ठ समूह के इस आयोजन का आरंभ ज्ञान चतुर्वेदी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में एक भजन से किया. भिलाई से पधारीं अलका शर्मा ने “मुझे तुम मिल गए हमदम..” की खूबसूरत प्रस्तुति दी. रायपुर से विनोद वाधवा, बालकृष्ण अय्यर, अशोक श्रीवास्तव, समीर नाथ, रीता नाथ, किरण पिल्लै, गुप्ता बंधु, घनश्याम शर्मा, छबिलाल सोनी, नमिता राठौड़, सजल एवं रमा विश्वकर्मा (मेजबान), सीपी खत्री, भिलाई से राकेश शर्मा, भिलाई से श्री चतुर्वेदी के अलावा सतीश जैन, भागवत टावरी, राकेश शर्मा, दीपक रंजन दास एवं राजनांदगांव से मुकेेश चौबे ने महफिल की खूबसूरती में कई रंग घोल दिये. श्री शंकर्षण मोहंती ने एक बेहतरीन गीत पेश किया. यह आयोजन भी उनके सहयोग से ही संभव हुआ. मेजबान सजल एवं रमा ने “ओ मेरे समन, ओ मेरे सनम..” युगल गीत की सुरीली प्रस्तुति दी. अंत में “नमो नमो जी शंकरा-भोलेनाथ शंकरा” की सुमधुर प्रस्तुति देकर सतीश जैन ने इस शाम को यादगार बना दिया. फिर मिलने के वायदे के साथ संगीत की यह सुरीली शाम परवान चढ़ी. रायपुर के सुर सियान समूह के संस्थापक भूतपूर्व डीजीपी श्री राजीव श्रीवास्तव निजीकारण वश न आ सके.