भिलाई। मौसम का मिजाज बदलते ही एक बार फिर अस्पतालों में कतारें लगने लगी हैं. इनमें से अधिकांश मामले सर्दी खांसी के हैं. सर्दी खांसी की यह बीमारी छोटे बच्चों को सर्वाधिक प्रभावित कर रही हैं. सर्दी खांसी के साथ अस्पताल और मेडिकल कालेज पहुंचने वाले 0-5 वर्ष के बच्चों में से लगभग आधे में निमोनिया पाया जा रहा है. प्रत्येक 10 में से एक बच्चे को अस्पताल में दाखिल कर आक्सीजन सपोर्ट देना पड़ रहा है.
उक्त बातें हाईटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक इंटेंसिविस्ट डॉ मिथिलेश यदु ने साझा की हैं. उन्होंने बताया कि हाइटेक हॉस्पिटल के साथ ही चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति मेडिकल कालेज में प्रतिदिन 15 से 20 बच्चे सर्दी खांसी के साथ पहुंच रहे हैं. हालांकि इनमें से अधिकांश को दवा और हिदायतों के साथ घर भेजा जा रहा है पर इनमें से लगभग आधे मरीजों में निमोनिया के लक्षण मिल रहे हैं. सर्दी खांसी के 10 प्रतिशत मामलों में निमोनिया के गंभीर लक्षण मिल रहे हैं जिन्हें भर्ती करना पड़ रहा है. कभी-कभी नौबत आईसीयू दाखिल करने तक पहुंच रही है. उन्होंने बताया कि छह माह से कम उम्र के शिशुओं में वायरल निमोनिया के मामले भी बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बच्चों में सर्दी खांसी के मामले यदि 2-3 दिन से ज्यादा टिक जाए और सांस लेने में तकलीफ होने लगे तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं. देर करने के साथ ही स्थिति गंभीर हो सकती है. साथ ही किसी को सर्दी खांसी होने पर परिवार के लोग, विशेषकर बच्चों को उनसे सुरक्षित दूरी बनाने की सलाह दी जाती है. जहां तक संभव हो उनके बिस्तर, तकिये और तौलियों से दूरी बनाएं. छींकते और खांसते समय मुंह को रूमाल से ढंकें.
छह महीने और उससे अधिक आयु के सभी लोग हर साल इन्फ्लूएंजा का टीका लगवाएं. यह न केवल आपकी सुरक्षा करता है, बल्कि आपके आस-पास के लोगों को भी सुरक्षित रखता है.