केसर कश्मीर की वादियों से चलकर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर आ चुका है. किसान मनमोहन नायक ने रायपुर के भाटागांव स्थित अपने फार्महाउस के एक कमरे में इसके बीजों को लकड़ी की ट्रे में लगाया है. 220 वर्गफीट के इस कमरे से पहले साल 2 किलो केसर प्राप्त होने की उम्मीद है. केसर का बाजार भाव लगभग 3 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है. उन्होंने पुणे में यह तकनीक सीखी और कश्मीर से बीज लेकर आए. कश्मीर के अलावा केसर पुणे, नोएडा और पंजाब के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है.
दैनिक भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक केसर को उगाने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं है. लहसन या प्याज जैसी इसकी जड़ें ही पोषण का स्रोत होती हैं. 5-6 डिग्री तापमान पर पौधा बढ़ता है और 50-55 दिन में इसमें फूल खिलते हैं. फूल नीली से बैंगनी रंग के हो सकते हैं. प्रत्येक फूल में तीन-तीन वर्तिकाएं होती हैं. यही केसर कहलाती हैं.
अनुकूल वातावरण बनाकर खेती करने की इस विधि को एयरोपोनिक्स कहा जाता है. मनमोहन इसी विधि से लकड़ी और प्लास्टिक की ट्रे में केसर उगा रहे हैं. कमरे की आबोहवा को कश्मीर जैसा बनाया गया है. इसमें तापमान, हवा, नमी, रोशनी को वातानुकूलन उपकरणों से नियंत्रित किया जा रहा है. इस तकनीक से सबसे अधिक केसर की खेती ईरान में हो रही है.
केसर के बीज को साल जुलाई-अगस्त में बोया जाता है. अक्टूबर-नवंबर तक फूल निकल आते हैं. किसी बीज में एक तो किसी में दो या तीन फूल निकलते हैं. केसर के फूल का हर हिस्सा कीमती होता है. बैंगनी-नीली पंखुड़ियां का इस्तेमाल अगरबत्ती बनाने में किया जाता है. पीली वर्तिकाओं से केसर का तिलक या एसेंस बनता है. पंखुड़ियां और वर्तिकाओं को अलग-अलग करने के बाद इन्हें सुखाकर शीशे के जार में रख दिया जाता है।
केसर के बीज 500 रुपए किलो तक मिलते हैं. एक बीज से पांच साल तक फसल ली जा सकती है. एक सीजन में फसल लेने के बाद बीजों को मिट्टी में दबा दिया जाता है. अगले सीजन में इन्हें निकालकर फिर से लकड़ी के ट्रे में वातानुकूलित कमरे में रख दिया जाता है.
केसर का बाजार मूल्य 2.5 से 3 रुपए हैं. शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का सर्टिफिकेट मिल जाने के बाद कीमत और अधिक बढ़ जाती है. नायक ने पुणे और नोएडा में इस तकनीक को देखा है. पुणे में एक किसान जहां 160 वर्गफीट के कमरे में केसर उगा रहा है वहीं नोएडा में एक किसान 100 वर्गफीट में केसर की खेती कर रहा है. उन्होंने पुणे से दो दिन का प्रशिक्षण प्राप्त किया है.