संतोष रूंगटा समूह के ‘मार्गदर्शन’ कार्यक्रम में हजारों स्कूली बच्चों को मिली दिशा
भिलाई। संतोष रूंगटा समूह द्वारा हाई स्कूल स्टूडेंट्स के लिए आयोजित ‘मार्गदर्शन’ में सेलेब्रिटी मोटिवेशनल स्पीकर्स एन रघुरामन, दीपक वोहरा एवं जवाहर सूरीशेट्टी ने बच्चों का मार्गदर्शन किया। प्रसिद्ध स्पीकर एवं स्तंभकार रघुरामन ने बच्चों से कहा कि अपनी सुनने की क्षमता बढ़ाएं तथा विषय वस्तु को समझने के बाद स्वतंत्र सोच के साथ निर्णय लें। अपने साकार करने पूरी ताकत झोंक दें तो आशातीत सफलता मिलेगी।रघुरामन ने अपने वक्तव्य की आरंभ नाटकीय ढंग से करते हुए एक प्रयोग द्वारा बच्चों को यह समझाने की कोशिश की कि अकसर हम जो देखते हैं, उसका अनुकरण करते हैं। निर्देशों की तरफ हमारा ध्यान नहीं होता। करियर के चुनाव के मामले में भी हम ऐसा ही करते हैं। एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि एक बार क्लास में एक छात्र की जेब से कंचा कर गया। मैथ्स टीचर ने पूछा कि कंचा किसका है तो किसी ने भी जवाब नहीं दिया। इनमें से एक बच्चे ने उठकर कंचे की जांच की और कहा कि यह मेरा नहीं है। इस छोटी सी घटना से उस टीचर ने उसकी प्रतिभा को पहचान लिया और उसे साइंस लेने के लिए प्रेरित किया। वह एक सफल इंजीनियर बना तथा आरएफआईडी तकनीक को भारत मेें आगे बढ़ाने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका बनी। आगे चलकर वह बालक (फडनवीस) महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना।
अंग्रेजी सहित अन्य भाषा सीखने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने एक और कहानी सुनाई। एक बार एक बिल्ली और उसके छौने को एक कुत्ता परेशान कर रहा था। जब बिल्ली भागते भागते थक गई तो वह रूकी और कुत्ते की आंखों में देखकर भौंकने लगी। कुत्ता कन्फ्यूज हो गया। फिर बिल्ली ने अपने छौने को डांटा कि क्यों नहीं वह भी भौंकना सीखता। उन्होंने कहा कि दुनिया को अपनी बात सुनाने के लिए उसकी भाषा सीखना जरूरी है।
भारत के पूर्व राजदूत दीपक वोहरा ने देश के प्रति जज्बे को रेखांकित करते हुए कहा कि जो एक भारती कर सकता है, उसे दुनिया का कोई और व्यक्ति नहीं कर सकता। इजरायली युद्ध के बीच यमन में फंसे 41 देशों के नागरिकों को वहां से निकालने साहसिक कार्य भारतीय सेना ने पूरा किया। इस तरह उसने अनेक देशों का विश्वास जीत लिया। उन देशों में आज भारतीयों को सम्मान मिलता है।
उन्होंने कहा कि भारत के युवा भारत का भविष्य नहीं बल्कि उसका वर्तमान हैं। हम जो कुछ भी करते हैं वह राष्ट्र को मजबूत करता है। हमें अपने कार्य को पूरी दक्षता के साथ करने की आदत डालनी चाहिए।
शिक्षाविद जवाहर सूरीशेट्टी ने बच्चों को मोटिवेट करते हुए अपनी कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि वे कभी स्कूल नहीं गए। इडली बेचकर अपनी आजीविका चलाई। सेठ की सलाह पर होटल मैनेजमेन्ट सीखने कोलकाता चले गए। वहां एक बस में बच्चों ने अंग्रेजी नहीं आने पर उनकी हंसी उड़ाई। साथ सफर कर रही एक टीचर ने उसकी दुविधा को समझा और अपने घर पर बुलाया। उन्होंने प्रतिदिन 5 शब्द सीखने को और उनका उपयोग अपने वाक्यों में करने की शिक्षा दी। आज वे जो कुछ भी हैं वह उन्हीं की बदौलत हैं।
नवोन्मेष और अपने काम को हंड्रेड परसेंट देने की सीख देते हुए उन्होंने बताया कि जहां वे इडली बेचते थे, वहां और भी इडली के ठेले थे। उन्होंने अपनी इडली का सेल बढ़ाने के लिए उसे अचार के साथ परोसना शुरू किया और सफलता मिलती गई। उन्होंने कहा कि कुछ न कुछ नया और औरों से हटकर करने वाले को असाधारण सफलता मिलती है।
सभी वक्ताओं ने विद्यार्थियों के सवालों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यदि आपको अपने सेलेक्शन पर यकीन है तो अपने माता पिता का विश्वास जीतने की कोशिश करें। यदि कोई दो अलग-अलग पसंद आपको परेशान कर रही हो तो दोनों को क्लब करने की कोशिश कीजिए। करियर के साथ एक पैशन को भी आगे लेकर जाया जा सकता है। एक बार कुछ बनने की ठान लो तो उसे पूरा करने के रास्तों की भी तलाश शुरू कर दो।
‘मार्गदर्शन’ के पहले चरण में 55 हाई स्कूलों के 3000 से अधिक बच्चों के लिए एप्टिच्यूड टेस्ट का आयोजन किया गया था। इसके विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। अलग अलग स्कूलों के आधार पर विजेताओं को जहां प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया वहीं अपने-अपने वर्ग में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय आने वाले बच्चों को क्रमश: टैबलेट, स्मार्ट फोन एवं फिटबिट का वितरण किया गया। पुरस्कार वितरण एन रघुरामन, दीपक वोहरा, जवाहर सूरीशेट्टी एवं समूह के निदेशक वित्त सोनल रूंगटा ने प्रदान किया।