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प्रेक्षकों को बेचैन कर गई एंटीगोनी

Jan 27, 2015

antigony, muktakash, mijza masoodरायपुर। अपने भाई के शव को ससम्मान दफ्न कराने के लिए किस तरह एक बहन अपने पिता से उलझ जाती है, उसका सजीव चित्रण यहां मंच पर किया गया। बहन एंटीगोनी का दोष केवल इतना था कि वह उस भाई के पक्ष में खड़ी दिखाई दे रही थी जिसने गद्दारों का साथ दिया था। पिता राजा क्रियान के आदेश पर अंतत: एंटीगोनी को दीवारों में चुनवा दिया जाता है और प्रेक्षागृह में मातमी सन्नाटा छा जाता है। आगे पढ़ें
सोफोक्लीज लिखित यूनानी नाटक एंटीगोनी को मिर्जा मसूद के निर्देशन में यहां मंच पर साकार किया गया। मंच सज्जा और लिबास के लिहाज से यह एक उत्कृष्ट प्रस्तुति थी। मंच पर बस थोड़ी सी रोशनी थी। थियेटर इफेक्ट इतना मजबूत था कि लोग बरबस ही ढाई हजार साल पुराने यूनान पहुंच गए। यह कहानी राजा क्रियान की है जो थीबीज नगर पर शासन करते थे। उनके दो पुत्र एटिकुलस और पालिनिसिस तथा दो पुत्रियां इजमेने और एंटीगोनी थे। एक बार क्रियान पर आक्रमण होता है। एटिकुलस अपने पिता का साथ देते हुए वीरगति को प्राप्त होता है। वहीं पालिनिसिस दुश्मन का साथ देता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। क्रियान के आदेश पर एटिकुलस को राजकीय सम्मान के साथ दफनाया जाता है जबकि पालिनिसि को उसकी गद्दारी की सजा के तौर पर दो गज जमीन भी नहीं दी जाती। तब बहन एंटीगोनी अपने पिता के खिलाफ उठ खड़ी होती है। अंतत: क्रियाज के आदेश पर एंटीगोनी को दीवारों में जिंदा चुनवा दिया जाता है। क्रियाज का पूरा परिवार इसके बाद उसे अकेला छोड़ देता है। वह एकदम अकेला रह जाता है। पूरे नाटक के दौरान ऐसे बहुत से मार्मिक प्रसंग आते हैं जहां लोगों की आंखें भीग जाती हैं।

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