अभिनेता की स्वायत्तता की पक्षधर है छत्तीसगढ़ी लोककला : जयप्रकाश साव
कुछ ऐसा करना चाहिए कि लोग हमें हमारे अच्छे कर्मों से याद रखें : देवेन्द्र यादव
भिलाई। ‘रंग-छत्तीसा’ के संस्थापक लोक कलाकार ‘चरणदास चोर’ दीपक तिवारी विराट एवं उनकी पत्नी लोक कलाकार पूनम विराट को आज 18वां रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। कलामंदिर में आयोजित एक गरिमामय समारोह में भिलाई की प्रबुद्ध बिरादरी इस सम्मान की साक्षी बनी। प्रख्यात लेखक एवं समालोचक जयप्रकाश साव ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ी लोककला ने हमेशा अभिनेता की स्वायत्तता को सर्वोपरि रखा है। भारतीय लोककला की निरंतरता, जीवंतता एवं विकास में दीपक तिवारी एवं पूनम तिवारी जैसे कलाकारों की महति भूमिका है।
युवा विधायक एवं महापौर देवेन्द्र यादव के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लोककलाकार एवं गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद ने की। मुख्य वक्ता की आसंदी से श्री साव ने यूरोपीय एवं भारतीय लोककलाओं की चर्चा करते हुए कहा कि दोनों समानांतर विकसित होते रहे हैं। यूरोपीय लोककला में एक अंतराल आया। रेनासां के बाद उसने दोबारा गति पकड़ी। पर भारतीय लोककला निरंतर चलती रही है। यह कोई जड़ विद्या नहीं है बल्कि समय के साथ परम्परा की तरह इसमें भी परिवर्तन होता रहा है।
श्री साव ने दीपक तिवारी एवं पूनम तिवारी ‘विराट’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर का कलाकार निरूपित करते हुए कहा कि इन कलाकारों ने लोककला को अपना सर्वस्व देकर पोषित किया है। इन्होंने न केवल देश में छत्तीसगढ़ का बल्कि पूरे विश्व में भारतीय लोककला को स्थापित करने में महति भूमिका निभाई है।
वरिष्ठ साहित्यकर्मी शरद कोकास ने दीपक तिवारी ‘विराट’ एवं पूनम विराट के प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। उन्होंने कहा कि बचपन में उन्होंने सिविक सेन्टर के ओपन एयर थिएटर में एक नाटक देखा था। मंच पर घुप्प अंधेरा था। तभी छप्पर से एक रस्सी लटकती है और उसके सहारे चरण दास चोर का मंच पर पदार्पण होता है। इस भूमिका का निर्वाह दीपक तिवारी ने किया था। दीपक तिवारी ने हबीब तनवीर के नया थिएटर को अपने जीवन के कई वर्ष दिए। 2005 में उन्होंने नया थिएटर छोड़ दिया और छत्तीसगढ़ लौट आए। उन्होंने ‘रंग-छत्तीसा’ की नींव रखी और पुन: कला साधना में डूब गए। 2008 में उन्हें लकवा मार गया। उनकी पत्नी पूनम ने ‘रंग-छत्तीसा’ की बागडोर संभाली और अपने पुत्र सूरज के साथ उसे आगे बढ़ाया। पर 2019 के अक्तूबर माह में हुई एक दुर्घटना में सूरज की अकाल मृत्यु हो गई। उसकी अर्थी को भी पूनम ने लोकगीत ‘चोला माटी के हे राम..’ गाकर विदाई दी। यह एक बेहद मार्मिक दृश्य था जिसका वीडियो वायरल हो गया। जिसने भी यह दृश्य देखा वह भावुक हो गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक एवं महापौर देवेन्द्र यादव इसी गीत को अपनी आवाज में प्रस्तुत कर दोनों कलाकारों के प्रति अपनी भावनाएं रखीं। बेहद विनम्रता के साथ उन्होंने कहा कि ऐसे महारथी कलाकारों के साथ मंच साझा करना स्वयं उनके लिए एक अद्भुत पल है जो उन्हें हमेशा याद रहेगा। उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि भिलाई के साहित्यकार, कलामर्मज्ञ, शिक्षा जगत के पुरोधाओं, कलाकारों एवं रचनाकारों को एक साथ यहां एकत्र कर उन्होंने एक सुन्दर परम्परा की नींव रखी है। वे प्रयास करेंगे कि इस आयोजन को शासन का भी सहयोग मिले।
उन्होंने कहा कि कोई भी इस दुनिया में हमेशा रहने के लिए नहीं आया है। एक दिन इस दुनिया को छोड़कर जाना ही होगा। कौन कब जाएगा, यह भी तय नहीं है। हमें अपने जीवनकाल में कुछ ऐसा करना चाहिए कि लोग हमें हमारे अच्छे कर्मों से याद रखें। पूनम एवं दीपक तिवारी ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली है और हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे लोककलाकार एवं विधायक कुंवर सिंह निषाद ने छत्तीसगढ़ी बोली, छत्तीसगढ़ की लोककला और दीपक तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ रंगकर्मियों के सान्निध्य का स्मरण किया।
आरंभ में श्री रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान के संयोजक साहित्यकार विनोद मिश्र ने बताया कि इस आयोजन की शुरुआत 1999 में की गई। तिवारी दम्पति को 18वां बहुमत सम्मान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने उन सभी मनीषियों का स्मरण किया जिन्हें अब तक यह सम्मान दिया जा चुका है। इनमें ऐसे भी लोग हैं जिन्हें बाद में भारत सरकार ने पद्मश्री की उपाधि से नवाजा।
मंच पर आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं चतुर्भुज फाउण्डेशन के संयोजक अरुण श्रीवास्तव, स्वागत समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र बंछोर भी मंचासीन थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ डीएन शर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अरुण श्रीवास्तव ने किया।
इस अवसर पर श्रीशंकराचार्य महाविद्यालय की निदेशक सह प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह, स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला, देव संस्कृति महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच, वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ हरिनारायण दुबे, अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह केम्बो, थिएटर कलाकार मणिमय मुखर्जी, राजेश श्रीवास्तव, प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती रजनी रजक, रंगकर्मी एवं कठपुतली कलाकार विभाष उपाध्याय, अनिता उपाध्याय, राजेश गनोदवाले, स्वयंसिद्धा की संयोजक डॉ सोनाली चक्रवर्ती, पत्रिका के स्थानीय संपादक देवेन्द्र गोस्वामी सहित सभी क्षेत्रों के प्रबुद्ध लोगों से कलामंदिर का प्रेक्षागृह खचाखच भरा हुआ था। इस अवसर पर ग्रामोदय एवं बहुमत पत्रिका के नवीन अंक का विमोचन भी अतिथियों ने किया।