भिलाई। नवोदित कवि एवं लेखक शुचि भवि की दो कृतियां दोहा संग्रह ‘आर्यकुलम की नींव’ एवं ग़जल संग्रह ‘मसाफते ख्वाहिशात’ का विमोचन स्थानीय रॉयल ग्रीन कॉलोनी में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार विनोद मिश्र ने की जबकि संचालन डॉ. साकेत रंजन प्रवीर ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लुधियाना से पधारे प्रसिद्ध साहित्यकार सागर सियालकोटी थे। अध्यक्षता कर रहे विनोद मिश्र ने लेखक की बहुआयामी जिम्मेदारियों की चर्चा करते हुए कहा कि लेखक का एक महत्वपूर्ण धर्म होता है जो हमेशा सकारात्मक होता है।डॉ. साकेत रंजन प्रवीर ने ग़जल संग्रह पर चर्चा के दौरान कहा कि ‘मसाफते ख्वाहिशात’ अदब के हर रंग से सुसज्जित है. जहाँ एक तरफ क़ाफिया, रदीफ, बह्र, बलाग़त और सलासत की कसौटी पर ग़जलें खरी हैं वहीं रंगे तग़ज़्जुल, रंगे तखय्युल और शऊरे जबान के दायरे में कसी हुई हैं।
साहित्यकार नवीन तिवारी ने कहा कि आर्यकुलम की नींव के दोहे समग्रता को लिए हुए हैं। डॉ. संजय दानी ने कुछ दोहों के तुक पर प्रश्न उठाये तो विशिष्ट अतिथि अरुण निगम ने सराहना के साथ साथ कुछ दोहों में सामंजस्य की कमी बताते हुए कहा कि ऐसी आलोचनाओं से ही स्वस्थ्य साहित्य का निर्माण होगा। सागर सियालकोटी ने शुचि भवि की दोनों कृतियों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि इतने कम दिनों के प्रयास में साहित्य की गहराई तक पहुँचने का काम किया है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कविगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्ष्ता शायर निजाम रही ने की जबकि सञ्चालन इसराइल बेग़ ‘शाद’ बिलासपुरी ने किया। इस मौके पर इरफान खान, यूसुफ सागर भिलाई, डॉ. साकेत रंजन प्रवीर, नवीन कुमार तिवारी, डॉ नोशाद सिद्दीक़ी, अरुण निगम, आलोक नारंग, डा संजय दानी, शुचि भवि, सागर सियालकोटि, निजाम राही ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में शुचि भवि ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।