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मजदूरों ने दिया लहू, रोटी का सहारा दे दो

Jan 29, 2015

rishi walia, vishwaranjan, poet, kaviभिलाई। एक लंबे अरसे के बाद एक युवा कवि जब मंच से मजदूरों की बात करता है, तो ऐसा यकीन हो चलता है कि उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई, उम्मीद कभी खत्म नहीं होती। यहां बात हो रही है युवा कवि ऋषि वालिया की, जिनके दिल में गरीबों, मजलूमों और मेहनतकशों का दर्द है, जिसकी वाणी में ओज है और जो बिना किसी लाग लपेट के अपनी बात कहने का माद्दा रखता है। अवसर था होटल हिमालय पार्क में हेल्पअस सोसायटी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि संगम का। छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे। क्रिएटिव आर्ट फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित इस कवि सम्मेलन के मंच से ऋषि ने कहा –
जुगनुओं की जगमगाहट से सारा जग रौशन कर दो
चंद चिराग जमीन पर जख्मी हैं, उन्हें सितारा कर दो
इन मजदूरों ने अपना लहू तक दिया इस जमीन को
अब तो तख्तेनशीन, इन्हें दो रोटियों का सहारा दे दो (देखें पूरा वीडियो) read more

स्व. ओमप्रकाश मंत्री की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता क्रिएटिव आर्ट फाउंडेशन के प्रांत संयोजक महेश शर्मा ने की। कार्यक्रम में प्रदेश भर से आए युवा कवियों ने हस्ताक्षर किए। आरंभ में कुलश्रेष्ठ सिन्हा ने मां पर एक खूबसूरत रचना प्रस्तुत की। वहीं शक्ति ठाकुर ने मां की परिभाषा कुछ इस तरह की – वह उठती है तो उगता है सूरज…। इसे आगे बढ़ाते हुए सातवीं की छात्रा राशि साहू ने कहा कि ईश्वर ने एक फरिश्ता भेज रखा है धरती पर जो ईश्वर की तरह ही अपनी संतानों का ख्याल रखती है। नासिर अहमद ने फैज की पंक्तियों से अपनी बात शुरू की। वहीं थानखम्हरिया से पधारे पवन शर्मा ने कहा – हम भूख से इस कदर खफा नहीं होते, गर रोटी के लिए मिट्टी से जुदा नहीं होते..। इस अवसर पर ए के तिवारी, उर्मिला देी उर्मी, देवेश तिवारी (अमोरा) उमेश दीक्षित, राजनांदगांव से मनोज शुक्ला ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। राम दिंजारे ने कहा –
जरूरत ही नहीं अब हमको मंदिर और मस्जिद की
तेरी गलियों से गुजरेंगे, इबादत हो ही जाएगी..।
भाई दर्शन सांखला ने धनकुबेरों पर कुछ यूं चुटकी ली
सब खुश हैं, मेरी कमाई हुई दौलत से
एक कुत्ता ही है जो मेरे हाथों से रोटी नहीं खाता
मुख्य अतिथि श्री विश्वरंजन ने साहब की तासीर पर खूबसूरत सी रचना का पाठ किया। उन्होंने दरबार संस्कृति पर निर्दयी प्रहार करते हुए साहब की हंसी में ठहाके लगाने वालों, साहब की गंभीरता पर चेहरा लटकाने वालों का खाका खींचा। उन्होंने कहा कि तरक्की के लिए यह मानकर चलने में कोई हर्ज नहीं कि साहब सब जानता है। कार्यक्रम का खूबसूरत संचालन क्रांति दीक्षित ने किया।
संगत में भोजपुरी समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ बैठा, शिक्षाविद बृजमोहन उपाध्याय, नाटककार आनंद अतृप्त, बीमा सलाहकार एचएस बिन्द्रा, हेल्पअस सोसायटी के डीएस अहलुवालिया, रीमा वालिया, सिमरन वालिया, पत्रकार, बुद्धिजीवी भी उपस्थित थे।

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