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सुन्दर सोच से होती है सफलता की शुरुआत

Jan 26, 2015

Dr Santosh Rai, Bhilai, Commerceभिलाई। प्रोफेशनल कैरियर एंड कम्प्यूटर्स के संचालक डॉ संतोष राय का मानना है कि जीवन में सफलता के लिए एक स्वस्थ दिमाग, सुन्दर सोच और प्रभावी प्रेरणा की जरूरत होती है। इसके विपरीत यदि आपके मन में किसी कार्य को लेकर पहले से ही संशय है, उसकी सफलता विफलता को लेकर आपके मन में द्वंद्व चल रहा हो तो संभावना यही अधिक बनती है कि बनता हुआ काम भी बिगड़ जाएगा। डॉ संतोष राय कहते हैं कि सुन्दर मूर्तियां, सुन्दर चित्र और सुन्दर भवन सुन्दर कल्पना का ही साकार रूप है। आगे पढ़ेंये वस्तुएं कहीं होती नहीं बल्कि हमारे दिमाग में ही पल्लवित और पुष्पित होती हैं। इस सुन्दर सोच पर यकीन कर हम अपने आप को सक्रिय करते हैं और फिर ये मूर्त रूप ले लेती हैं। हमें तो प्रसन्नता मिलती ही है, दुनिया भी वाह! वाह!! कर उठती है। मोटिवेटर और कॉमर्स गुरू डॉ राय कहते हैं कि यह सुन्दर सोच प्रत्येक बच्चे में नैसर्गिक रूप से विद्यमान होता है। प्रत्येक बच्चा बचपन में लकीरें खींचता है, चित्र बनाने की कोशिश करता है, उनमें रंग भरने की कोशिश करता है। यह माता पिता और अभिभावक पर निर्भर करता है कि वह उसे प्रोत्साहित करते हैं, एक कुम्हार की तरह गीली मिट्टी के इस लौंदे को सहारा देकर सुराही बनाते हैं या उसे चाक से हटा लेते हैं। अपनी बात को विस्तार से समझाते हुए डॉ राय कहते हैं कि हममें से अधिकांस माता पिता अकसर अपने बच्चों को सिर्फ टोक कर रह जाते हैं। यदि बच्चा पढ़ाई में थोड़ा भी पिछड़ जाता है तो उसे ताने देने लगते हैं। उसपर गाढ़ी कमाई के पैसों को बर्बाद करने का दोष मढ़ने लगते हैं। हममे से कितने लोग यह सोचते हैं कि हमारी यह नेगेटिव सोच हमारी अपनी संतान के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती हैं। उसके जीवन से सफलता की संभावनाओं को पूरी तरह से खत्म कर सकती है। हमारी संतान हमारी बातों पर पूरा यकीन करती हैं। यदि हमने उन्हें असफल कहा तो वह खुद को असफल, नाकारा और निकम्मा समझने लगेगा और उसकी रचनात्मक ऊर्जा कुंठित हो जाएगी।

प्रत्येक क्षेत्र में दिखाया दम
डॉ संतोष राय ने अपनी कथनी को करनी में प्रभावित कर सही साबित कर दिखाया है। दो दशक पूर्व भिलाई में उन्होंने कॉमर्स एजुकेशन को एक नई दिशा दी। उन दिनों यहां की शिक्षा एक ढर्रे पर थी। लड़कों की प्राथमिकता सूची में गणित, विज्ञान, वाणिज्य और कुछ न मिलने पर आर्ट्स। लड़कियों की प्राथमिकता थी विज्ञान, वाणिज्य और कुछ न मिलने पर आर्ट्स। जबकि तेजी से बदलती दुनिया में विपणन, प्रबंधन एवं लेखा का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा था। डॉ संतोष राय ने इसी सुन्दर सोच को लेकर अपना काम शुरू किया और दस साल में ही काफी कुछ बदल गया। आज तो यह हाल है कि तीक्ष्ण बुद्धि वाले बच्चे, अपने क्लासेस में टॉप करने वाले बच्चे भी कॉमर्स को अपनी टॉप प्रायरिटी बनाकर चल रहे हैं। वे सीएस, आईसीडब्ल्यूए, सीए की चुनौतियों को स्वीकार कर रहे हैं। अाज वे लायन्स क्लब से जुड़कर अनुशासन, समय की पाबंदी तथा धनात्मक ऊर्जा के लोकव्यापीकरण की दिशा में काम कर रहे हैं।

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