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सड़क हादसे में 55 फीसदी अधिक बच्चों की मौत

May 22, 2015

55% hike in death of children in road accidentsरायपुर. एक ओर दुनिया भर में बच्चों के जीवन को बचाने क लिए यूएन ग्लोबल रोड सेफ्टी वीक (सड़क सुरक्षा सप्ताह-2015) मनाया जा रहा है, वहीं सड़कों पर बच्चे लगातार सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। दिल्ली में साल 2013 में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले बच्चों की संख्या 145 थी जो 2014 में बढ़कर 167 पर पहुंच गई है। इसी अवधि के दौरान दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों की संख्या 855 से बढ़कर 918 तक पहुंच गई है। विदेशों की बात करें तो ब्रिटेन में 2412 बच्चों ने 2011 में सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई थी। read more
एक सड़क सुरक्षा एडवोकेसी ग्रुप, सेव लाईफ फाउन्डेशन के द्वारा संग्रहित आरटीआई आंकड़ों के माध्यम से ये तथ्य सामने आए हैं। दिल्ली अकेला प्रान्त नहीं है जहाँ सड़क दुर्घटना में मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ में भी 2013 में ऐसे 136 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2014 में 211 मौतों के साथ इस आंकड़ें में 55 फीसदी की वृद्धि हुई है। महाराष्ट्र की बात करें तो 2013 में यहाँ सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले बच्चों की संख्या 351 थी, 2014 में 434 के आंकड़े के साथ इस राज्य में 23.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
केन्द्र शासित चण्डीगढ़ में भी समान अवधि के दौरान सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की संख्या 8 से कम होकर 5 पर आ गई है तथा घायलों की संख्या 17 से कम होकर 7 पर आ गई है। पंजाब और हरियाणा से आरटीआई के आंकड़े प्राप्त नहीं हुए हैं। केरल, कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश भी आरटीआई को प्रतिक्रिया नहीं दे पाए हैं।
”भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 14 साल से कम उम्र के 20 बच्चों की मृत्यु हो जाती है। जब तक इस क्षेत्र में सुधार के लिए सख्त नियम नहीं बनाए जाते, इन नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया जाता, बच्चों के हैलमेट, बड़ों की जवाबदेहिता को सुरक्षित नहीं किया जाता, चाइल्ड ज़ोन नहीं बनाए जाते, तब तक स्थिति में सुधार आने की कोई सम्भावना नहीं है। सरकार को सड़क सुरक्षा के नियमों को मजबूत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे।ÓÓ सेव लाईफ फाउन्डेशन के संस्थापक और सीईओ पीयूष तिवारी ने बताया, जिन्होंने आरटीआई आवेदन भी दायर किया है। डॉ. शुभांगी तंबवेकर जिन्होंने पिछले साल सड़क दुर्घटना में अपनी बेटी को खो दिया, ने बताया, ”भारत में कितने और बच्चों को अपने जीवन का बलिदान देना होगा? आप लोगों के लिए यह एक आंकड़ा है। लेकिन हमने अपने जीवन के अंश को खो दिया है।ÓÓ

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